शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने की स्थिति को हाइपरयूरीसीमिया कहा जाता है। इस बीमारी में जोड़ों में तेज दर्द, गाउट, गुर्दे में पथरी, घुटने में सूजन, अपच, बार-बार पेशाब आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। शरीर में यूरिक एसिड प्यूरिन नाम के तत्व के टूटने से बनता है। ऐसे में इस समस्या से जूझ रहे लोगों को उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिनमें भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन मौजूद होते हैं।

शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से जेनेटिक कारक यानी मोटापा, डायबिटीज, गुर्दे की बीमारी, कैंसर और सोरायसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण मांसपेशियों के आसपास बार-बार दर्द, जोड़े लाल पड़ जाना, मूत्र में ब्लड आना और मूत्र पथ में संक्रमण हो सकता है। हालांकि, घरेलू उपायों के जरिए शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को कंट्रोल किया जा सकता है।

कच्चा पपीता: कच्चे पपीते में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन-सी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेट्री गुण मौजूद होते हैं। जो यूरिक एसिड के मरीजों को जोड़ों में दर्द से राहत दिलाने में कारगर हैं। पपीते में मौजूद फाइबर, वजन को करने में मदद करता है। कच्चे पपीते को नेचुरल पेनकिलर भी कहा जाता है। क्योंकि, इसमें एंजाइम पपाइन मौजूद होते हैं, यह शरीर में साइटोकींस नाम के प्रोटीन का उत्पादन बढ़ाता है।

इस तरह करें कच्चे पपीते का इस्तेमाल: शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करने में कच्चा पपीता कारगर है। इसका आप अलग-अलग तरीकों से सेवन कर सकते हैं। कच्चे पपीते को आप सलाद के तौर पर खा सकते हैं। तो वहीं इसका जूस और काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। कच्चे पपीते का काढ़ा स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है।

इसके लिए करीब 2 लीटर पानी को उबाल लें। फिर एक कच्चे पपीते को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और उसके अंदर से बीज निकाल लें। इन टुकड़ों को उबलते हुए पानी में डालें और करीब 5 मिनट तक उबालें। फिर इस पानी में 2 चम्मच ग्रीन टी डालकर उबाल लें। इस काढ़े का दिन में 3 से 4 बार सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे आपके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा नियंत्रित हो जाएगी।