Monsoon Tips For Pregnant Women: मानसून एक ऐसा समय है, जिसका सभी लोग आनंद लेते हैं क्योंकि यह गर्मी से राहत देता है। हालांकि, मानसून के मौसम में बीमारियों और कई इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में बरसात का मौसम प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए खासा मुश्किल माना जाता है, क्योंकि मौसम में उन्हें इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है, जिसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। ईएसआई, अस्पताल, दिल्ली, गाइनेकोलॉजिस्ट, डॉ. संघमित्रा ने बताया कि बरसात के मौसम में बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों और संक्रमणों का बढ़ना आम बात है, क्योंकि नमी बैक्टीरिया और मच्छरों को जन्म देती है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना चाहिए।
डॉ. संघमित्रा के मुताबिक, बारिश के मौसम में मच्छर जनित बीमारियों और इंफेक्शन का खतरा अधिक रहता है, क्योंकि गर्भवती महिलाओं की पहले से इम्यूनिटी थोड़ी कमजोर रहती है, तो ऐसी स्थिति में मानसून के मौसम में उन्हें बीमारियों का खतरा अधिक होता है। डॉ. संघमित्रा ने बताया कि बारिश के मौसम में गर्भवती महिलाओं को किन बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
डेंगू
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहने और निवारक उपाय करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि डेंगू से प्लेटलेट काउंट में कमी, डिहाइड्रेशन और समय से पहले प्रसव जैसी कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं।
मलेरिया
गर्भावस्था के दौरान मलेरिया कभी-कभी महिलाओं में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे गंभीर एनीमिया और जन्म के समय कम वजन वाला शिशु।
लेप्टोस्पायरोसिस
बारिश के मौसम में गर्भवती महिला लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित है, तो इससे गर्भपात या अंग संबंधी कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं। यह लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित जानवरों से फैलता है।
टाइफाइड बुखार
मानसून में स्वच्छता संबंधी समस्याओं के कारण टाइफाइड फैलता है। जिसके चलते तेज बुखार और कई अन्य समस्या हो सकती है। इस मौसम में प्रेग्नेंट महिलाओं साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
हेपेटाइटिस ए, ई
ये वायरस गंदगी में पनपते हैं और सबसे ज्यादा बिना फिल्टर किए पानी या गलत खाना पकाने के तरीकों से फैलते हैं। हेपेटाइटिस ई से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बहुत ज्यादा होता है, खासतौर पर गर्भावस्था में और इससे भ्रूण की मृत्यु के साथ-साथ लिवर फेल भी हो सकता है।
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस
गैस्ट्रोएन्टेराइटिस जिसे आमतौर पर पेट फ्लू या आंत्रशोथ भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट और आंतों में सूजन हो जाती है, जिससे उल्टी, दस्त, पेट दर्द और कभी-कभी बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया या परजीवियों के संक्रमण के कारण होता है।
फंगल इंफेक्शन
फंगल इन्फेक्शन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, नमी, और व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी। गर्भवती महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन के कारण त्वचा संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है।
कैसे करें बचाव
- गर्भावस्था के दौरान फ्लू, सर्दी और अन्य श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना।
- खानपान का ध्यान रखें।
- मच्छरों से बचने के लिए बाल्टी या बर्तन में पानी जमा न करें तथा उन्हें साफ रखें।
- इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले फूड्स का सेवन करें।
- गर्भावस्था के दौरान उचित आराम करें।
- शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
इसके अलावा हड्डियों की मजबूती के लिए खीरे के बीज का सेवन भी किया जा सकता है। खीरे के बीज ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।