Postprandial Blood Sugar: खराब खानपान, लाइफस्टाइल, जेनेटिक या फिर किसी अन्य कारणों से अधिकतर लोगों ब्लड शुगर की समस्या से परेशान है। डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है। दरअसल, यही इंसुलिन खून में मौजूद ग्लूकोज से मिलकर शरीर को एनर्जी देता है। ऐसे में व्यक्ति शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा कम या फिर ज्यादा होने लगती है। खाने से पहले और खाने के बाद के ब्लड शुगर को चेक करके उसे कंट्रोल करने के उपाय अपनाते हैं। कई बार फास्टिंग ब्लड शुगर कम आता है। लेकिन खाने के बाद अचानक से ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इसे पोस्ट-प्रैन्डियल रक्त शर्करा (Postprandial Blood Sugar) कहा जाता है। ऐसे में अगर आप डायबिटीज के मरीज है, तो खाने के बाद के ब्लड शुगर की निगरानी जरूर करें, क्योंकि यह इस बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है कि कैसे शरीर विभिन्न खाद्य पदार्थों पर प्रतिक्रिया करता है और ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करता है। न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के लैब प्रमुथ डॉ विज्ञान मिश्रा से जानिए पोस्ट प्रैन्डियल ब्लड शुगर के बारे में सबकुछ।

पोस्ट-प्रैन्डियल रक्त शर्करा का स्तर (Postprandial Blood Sugar Level)

आम तौर पर, भोजन के बाद ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है और फिर धीरे-धीरे कम हो जाता है, क्योंकि शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग करता है या भविष्य में उपयोग के लिए इसे  इकट्ठा करता है। हेल्दी व्यक्तियों का खाना खाने के दो घंटे बाद ब्लड शुगर लेवल 140 मिलीग्राम/डीएल (मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर) से नीचे रहना चाहिए। हालांकि, डायबिटीज वाले व्यक्तियों का स्तर अधिक हो सकता है, जिसे कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो सकता है।

पोस्ट-प्रैन्डियल रक्त शर्करा परीक्षण: (Postprandial Blood Sugar Level Test)

खाना खाने के बाद ब्लड शुगर मापने के दो मुख्य तरीके हैं

फिंगरस्टिक रक्त शर्करा परीक्षण (Fingerstick Blood Sugar Test)

यह एक सरल और सामान्य परीक्षण है जिसे घर पर किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति एक छोटा रक्त नमूना ले सकता है। सबसे पहले एक लैंसेट लेकर अपनी उंगली में चुभाएं और फिर अपने ब्लड शुगर के स्तर को मापने के लिए ग्लूकोज मीटर का उपयोग कर सकते हैं। यह परीक्षण आमतौर पर भोजन से पहले (फास्टिंग ब्लड शुगर चेक) और फिर खाना खाने के करीब 1 से 2 घंटे बाद किया जाता है।

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT)

यह परीक्षण अक्सर डॉक्टर द्वारा किया जाता है। इसमें व्यक्ति 12 घंटे तक का व्रत रखता है। इसके बाद फास्टिंग ब्लड शुगर मापा जाता है। इसके बाद मरीज को एक निर्दिष्ट मात्रा में ग्लूकोज का घोल पीते हैं और रक्त शर्करा के स्तर की नियमित अंतराल पर आमतौर पर ग्लूकोज का घोल पीने के एक से दो घंटे बाद निगरानी की जाती है। यह परीक्षण अधिक व्यापक है और मधुमेह या प्रीडायबिटीज का निदान करने में मदद कर सकता है।

प्रेग्नेंसी में ब्लड शुगर टेस्ट

प्रेग्नेंसी के समय अगर महिला की ब्लड शुगर हाई है, तो इससे बच्चे के साथ मां दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं को ओजीटीटी करवाना पड़ सकता है।

खाने के बाद कितना होना चाहिए ब्लड शुग

प्रैन्डियल रक्त शर्करा

नार्मल व्यक्ति की ब्लड शुगर खाना खाने के दो घंटे के बाद रक्त शर्करा का स्तर 140 मिलीग्राम/डीएल होता है, जो सामान्य सीमा के भीतर माना जाता है। इससे पता चलता है कि शरीर ग्लूकोज के स्तर को कुशलतापूर्वक नियंत्रित कर रहा है।

खाना खाने के बाद हाई ब्लड शुगर

दो घंटे के बाद पोस्टप्रांडियल रक्त शर्करा का स्तर 200 मिलीग्राम/डीएल (या 11.1 मिलिमोल/एल) से अधिक होना मधुमेह के खराब नियंत्रण का संकेत हो सकता है। भोजनोपरांत रक्त शर्करा का स्तर लगातार अधिक रहने से अगर समय रहते कंट्रोल नहीं किया,तो अन्य कई शारीरिक संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रीडायबिटीज

यदि भोजनोपरांत रक्त शर्करा का स्तर 140 मिलीग्राम/डीएल और 199 मिलीग्राम/डीएल (7.8 मिलिमोल/एल और 11.0 मिलिमोल/एल) के बीच है, तो यह प्रीडायबिटीज का संकेत हो सकता है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति को टाइप 2 मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ गया है।

ऐसे करें ब्लड शुगर को कंट्रोल (How To Control Blood Sugar)

अगर खाने के बाद अधिक ब्लड शुगर बढ़ रहा है, तो  इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

हेल्दी डाइट

कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा की उचित मात्रा वाला संतुलित आहार खाने से पीपी ब्लड शुगर कंट्रोल में रहेगी।

करें नियमित रूप से व्यायाम

शारीरिक व्यायाम इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकते हैं और रक्त शर्करा के स्तर को नियमित करने में सहायता कर सकते हैं।

दवा

कुछ व्यक्तियों को भोजनोपरांत रक्त शर्करा को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए मधुमेह की दवाओं या इंसुलिन थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

तनाव को करें कंट्रोल

तनाव रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है, इसलिए तनाव कम करने की तकनीकों का अभ्यास करना लाभकर हो सकता है।