Sleep Disorder: भागदौड़ भरी जिंदगी और अनहेल्दी खाना के चलते कई प्रकार की परेशानियां आती हैं। ऐसे में तनाव की स्थिति पैदा होती है और ठीक से नींद नहीं आती। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए दिन में 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नींद की कमी और फोन पर घंटों बिताना, नींद की इस कमी के कारण लिवर, हार्ट और दिमाग संबंधी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अच्छी नींद दिल और दिमाग के लिए बहुत आवश्यक है। इससे शरीर के स्वास्थ्य की रक्षा हो सकती है। नींद नहीं आने को लेकर एक रिसर्च में चौंकाने वाली बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 45 प्रतिशत लोगों में लिवर की गंभीर बीमारियों का संबंध नींद (ठीक से न सो पाने) की आदतों से होता है। नींद की की आपकी ऊर्जा और मूड को प्रभावित करती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह आपके लिवर पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
कम नींद लेने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं
- दिल की बीमारी का खतरा बढ़ना
- स्ट्रोक का खतरा बढ़ना
- डायबिटीज होने की संभावना
- कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ना
- हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल होना
- लिवर की समस्या
नए शोध से पता चला है कि खराब नींद और गंभीर लिवर रोग मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (एमएएसएलडी) के बीच सीधा संबंध है। पहले इसे नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज कहा जाता था। यह सबसे आम लिवर का रोग है। यह दुनिया भर में 30 प्रतिशत वयस्कों, 7 से 14 प्रतिशत बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2040 तक यह संख्या 55 प्रतिशत से अधिक वयस्कों तक पहुंच जाएगी।
क्या कहती है रिसर्च
स्विट्जरलैंड में बेसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने लिवर की बीमारी और नींद के चक्र के बीच संबंध पाया है। जर्नल फ्रंटियर्स इन नेटवर्क फिजियोलॉजी में छपे इस अध्ययन के मुताबिक, लिवर की बीमारी (एमएएसएलडी) के रोगियों की नींद में काफी कमी आती है। रिसर्च के अनुसार, एमएएसएलडी के मरीज रात के दौरान 55% ज्यादा जागते हैं और पहली बार सोने के बाद औसतन 113% जागते हैं। इसके अलावा, ये मरीज दिन में देर तक सोते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस बीमारी से पीड़ित लोग बार-बार नींद में रुकावट और ज्यादा जागने के कारण नींद की कमी से पीड़ित होते हैं।
अध्ययन में MASLD, MASH (स्टीटोहेपेटाइटिस) या सिरोसिस जैसी स्थितियों वाले 46 वयस्क पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया। उनकी तुलना 16 स्वस्थ वयस्कों और गैर-एमएएसएच-संबंधित सिरोसिस वाले 8 लोगों से की गई। सभी भागीदार को एक्टिग्राफ नामक एक उपकरण लगाया गया था, जो शारीरिक गतिविधि और शरीर के तापमान को ट्रैक करता है।
अध्ययन के नतीजों से पता चला कि MASLD – MASH से जुड़े मरीजों की नींद की गुणवत्ता सामान्य व्यक्तियों की तुलना में काफी खराब थी। इसके अलावा MASLD के 32% रोगियों ने मनोवैज्ञानिक तनाव के कारण सोने में कठिनाई पाई गई। विशेषज्ञों के अनुसार, नींद की कमी MASLD के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।