भारत में खाना बनाने के लिए कई प्रकार के तेलों का उपयोग किया जाता है। बाजार में मूंगफली का तेल, सूरजमुखी का तेल, चावल की भूसी का तेल, तिल का तेल, जैतून का तेल, सरसों का तेल आदि कई प्रकार का तेल मिलता है। हर कोई अपनी पसंद के अनुसार, खाने में तेल का उपयोग करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, खाना पकाने में कुछ तरह के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसमें पाम का तेल भी शामिल है। इसके इस्तेमाल से दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। चलिए आपको बताते हैं खाने बनाने के लिए पाम के तेल का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
पाम तेल
पाम तेल की कीमत अन्य तेलों की कीमतों की तुलना में बहुत कम है। इससे इसका उपयोग काफी बढ़ गया है, लेकिन कई अध्ययन से पता चलता है कि इसके हानिकारक दुष्प्रभाव हैं। रिसर्च के मुताबिक, जो लोग इस तेल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
हृदय पर दबाव
पाम तेल में हाई मात्रा में ट्रांस फैट होता है, जो शरीर में घुलनशील नहीं होता है। ये वसा कोशिकाएं हृदय से रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में जमा हो जाती हैं और अवरुद्ध हो जाती हैं। जिसके चलते खराब रक्त परिसंचरण हृदय पर दबाव डालता है और दिल का दौरा, स्ट्रोक आदि का खतरा बढ़ जाता है।
शुगर और वजन बढ़ने का खतरा
ताड़ का तेल खाने से शरीर में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल), खराब वसा का स्तर बढ़ जाता है। जैसे-जैसे एलडीएल का स्तर बढ़ता है, हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है। नियमित रूप से ताड़ के तेल यानी पाम के तेल से बने खाद्य पदार्थ खाने से वजन बढ़ने और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
पाम तेल को परिष्कृत यानी रिफाइंड कर बाजार में उतारा जा रहा है। रिफाइंड और डबल रिफाइंड तेल बनाते समय 6 से 13 प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है। ऐसा करने से तेल के प्राकृतिक गुण जैसे प्रोटीन और स्वस्थ वसा नष्ट हो जाते हैं। जिसके चलते तेल पूरी तरह से अस्वस्थ हो जाता है। अध्ययनों के मुताबिक, ऐसे रिफाइंड तेलों का उपयोग करने वालों में हृदय अवरोध और हृदय रोगों की घटनाएं बढ़ रही हैं।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।