शरीर के लिए विटामिन डी “सनशाइन विटामिन” कहा जाता है, क्योंकि इसका प्रमुख स्रोत धूप है। विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने, इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करने और मांसपेशियों की हेल्थ के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। विटामिन D हाल के वर्षों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी कमी को कई बीमारियों से जोड़ा जा रहा है, जबकि आज के समय में इस पोषक तत्व की कमी से जूझ रहा है। 1930 के बाद से ही विटामिन डी को लेकर कई रिसर्च की जा रही है। हालांकि, शुरुआती दौर में ये अध्ययन हड्डियों और कैल्शियम संतुलन तक सीमित थे, लेकिन समय के साथ यह स्पष्ट हुआ कि विटामिन D का असर रोग प्रतिरोधक क्षमता, संक्रमण, कैंसर और हार्ट संबंधी बीमारियों पर भी पड़ता है।

शरीर में विटामिन D की भूमिका

विटामिन D शरीर में इम्यून सिस्टम को रेग्युलेट करने का काम करता है। कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों की मजबूती के अलावा यह हार्मोनल संतुलन, मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्वास्थ्य में भी भूमिका निभाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान हुई रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों में विटामिन D की कमी थी, उनमें संक्रमण का असर अधिक गंभीर रहा।

2020 के आंकड़ों के अनुसार, यूरोप की लगभग 40% आबादी, अमेरिका में 24% और कनाडा में 37% लोग विटामिन D की कमी से जूझ रहे हैं। भारत और एशियाई देशों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। ये गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और बुजुर्ग, मोटापे से ग्रस्त लोग, गहरी त्वचा वाले व्यक्ति, धूप से दूर रहने वाले या सनस्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों में विटामिन डी कमी अधिक होती है।

धूप से मिलने वाला विटामिन D

मनुष्य की त्वचा कोलेस्ट्रॉल से विटामिन D बना सकती है, लेकिन इसके लिए पर्याप्त धूप का एक्सपोजर जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, गोरी त्वचा वाले लोग मार्च से अक्टूबर तक रोजाना 15 मिनट चेहरे और बाहों पर धूप लें। बुज़ुर्गों और हड्डियों की समस्या वाले लोगों को 30 मिनट तक धूप में रहना चाहिए। UV किरणों से बचाव के लिए SPF 15–30 वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए फैटी फिश यानी सैल्मन, ट्राउट, फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स आदि का सेवन करें। इसके साथ ही आजकल फैटी फूड्स से परहेज और सनस्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल को भी विटामिन D की कमी का कारण माना जा रहा है।

विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने के नुकसान

विटामिन डी सप्लीमेंट्स का अधिक सेवन करना टॉक्सिसिटी की समस्या पैदा कर सकता है। विटामिन-डी लेने से हाइपरकैल्सीमिया हो सकता है, जिसके कारण मतली, उल्टी, कमजोरी, भूख न लगना और गुर्दे की समस्याएं हो सकती हैं। विटामिन डी की कमी के अन्य किसी कारण के भी हो सकती है, जैसे कि किडनी की बीमारी या मलेशिया। ऐसे में विटामिन-डी सप्लीमेंट्स लेने से समस्या का हल नहीं होगा। इसके अलावा विटामिन डी सप्लीमेंट्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

कब लेना चाहिए विटामिन डी सप्लीमेंट्स

अगर, शरीर में विटामिन डी की कमी हो रही है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह-मशरवरा करना चाहिए। इसके बाद विटामिन-डी सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। क्योंकि, डॉक्टर्स यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके लिए सप्लीमेंट्स सुरक्षित हैं या नहीं।

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