बॉडी के लिए जरूरी है ओमेगा-3 फैटी एसिड जो मछली में भरपूर मौजूद होता है। ओमेगा-3 एक पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड ईकोसापेंटेनोइक एसिड (EPA) और डोकोसाहेक्सेनोइक एसिड (DHA) है जिसे हमारी बॉडी खुद नहीं बनाती। ये फैटी एसिड समुद्री मछलियों से मिलता है जैसे कॉड और हैलिबट जैसी दुबली सफेद मछलियों का लिवर, मैकेरल और सैल्मन जैसी तैलीय मछलियों का शरीर और सील व व्हेल जैसे समुद्री स्तनधारियों की चर्बी में ये भरपूर होता है।

बॉडी की जरूरत को पूरा करने के लिए इसे डाइट या सप्लीमेंट से हासिल किया जाता है। इसका काम कोशिकाओं की दीवार को मजबूत बनाना, सूजन (inflammation) कम करना और धमनियों को लचीला रखना है। शाकाहारी लोग मछली नहीं खाते तो वो अपनी बॉडी में ओमेगा-3 फैटी एसिड की जरूरत को पूरा करने के लिए मुझसे सॉर्स पूछते हैं। आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड से जुड़ी मैं सारी जानकारी इस लेख में दे रहा हूं। आपको बता रहा हूं कि कैसे ये फैटी एसिड शरीर के लिए जरूरी है, दिल के लिए ये कैसे असरदार है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड का काम

ओमेगा-3 फैटी एसिड का काम रक्त में ट्राइग्लिसराइड स्तर को नियंत्रित करना हैं। कोशिकाओं की बाहरी झिल्ली की मजबूती बनाए रखता हैं। कोशिकाओं के भीतर होने वाले जटिल संकेतों में मदद करता हैं। धमनियों की दीवारों को लचीला बनाता हैं। शरीर में सूजन (इन्फ्लेमेशन) कंट्रोल होती हैं।

ओमेगा-3 और दिल की सेहत पर उसका असर

ओमेगा-3 फैटी एसिड का ज़िक्र आते ही सबसे पहले दिल की सेहत दिमाग में आती है। ये फैटी एसिड खून के थक्के बनने की प्रवृत्ति को कम करता हैं और दिल से जुड़ी मौत के जोखिम को भी घटा सकता हैं। कई अध्ययनों में इसके फायदे सामने आए हैं, हालांकि इनके प्रभावों पर शोध अभी जारी है। इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड का उपयोग कई परेशानियों का इलाज करने में किया जाता रहा है जैसे

  • जोड़ों की सूजन (आर्थराइटिस)
  • दिमाग की कार्यक्षमता में कमी (याददाश्त, डिप्रेशन)
  • कुछ कैंसर जैसे प्रोस्टेट कैंसर
  • दिल की धड़कन की अनियमितता (एट्रियल फिब्रिलेशन)
  • डायबिटीज

ट्राइग्लिसराइड घटाने में ओमेगा-3 का रोल

ब्लड में ट्राइग्लिसराइड का स्तर घटाने में ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत असरदार साबित होता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, रोज़ाना 2 से 4 ग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड लेने से ट्राइग्लिसराइड स्तर 20 से 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है। चिकित्सकीय प्रैक्टिस में, हम ऐसे डोज़ उन मरीजों को देते हैं जिनमें सही डाइट, एक्सरसाइज़ और दवाओं के बावजूद ट्राइग्लिसराइड्स नियंत्रित नहीं होता जो कि भारतीयों में आम समस्या है।

REDUCE-IT ट्रायल से क्या पता चला?

हाल ही में एक महत्वपूर्ण अध्ययन REDUCE-IT ट्रायल में एक खास प्रकार के ओमेगा-3 फैटी एसिड का परीक्षण किया गया। इसमें ऐसे मरीज शामिल थे जिन्हें पहले से दिल की बीमारी थी। जो स्टैटिन जैसी शक्तिशाली कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं ले रहे थे फिर भी उनका ट्राइग्लिसराइड स्तर हाई था। ट्रायल में मरीजों के ट्राइग्लिसराइड स्तर में कमी आई। हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम 25 प्रतिशत कम हुआ। हार्ट अटैक से मौत का खतरा 20 प्रतिशत घटा। यह ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए एक नई उम्मीद है।

शाकाहारियों के लिए क्या विकल्प हैं?

शाकाहारी स्रोतों में पाया जाने वाला फैटी एसिड अल्फा लिनोलेनिक एसिड (ALA) कहलाता है। मानव शरीर को इसे EPA और DHA (लॉन्ग-चेन ओमेगा-3) में बदलना पड़ता है, लेकिन यह रूपांतरण बहुत कम मात्रा में होता है। इसी वजह से शाकाहारियों में ओमेगा-3 का स्तर कम हो सकता है। शाकाहारी लोग ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी को पूरा करने के लिए अलसी का तेल और अलसी के बीज का सेवन करें। चिया सीड्स, अखरोट और अखरोट का तेल, कैनोला, सोयाबीन और सरसों का तेल, पिस्ता, कद्दू के बीज और बादाम का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा कुलफा (पर्सलेन), ब्रसेल्स स्प्राउट्स भी ओमेगा-3 का स्रोत हैं।

क्या ओमेगा-3 सप्लीमेंट सुरक्षित हैं?

ओमेगा-3 फैटी एसिड के सप्लीमेंट (EPA और DHA युक्त फिश ऑयल कैप्सूल) आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, लेकिन डोज़ और अवधि के अनुसार कुछ लोगों में साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड के साइड इफेक्ट

  • खून बहने का खतरा बढ़ना, खासकर अगर मरीज ब्लड थिनर ले रहा हो।
  • पेट खराब होना। मरीज इस सप्लीमेंट का सेवन डॉक्टर की सलाह से लें।
  • मैं अपने मरीजों को क्या सलाह देता हूं?
  • नॉन-वेजिटेरियन लोग हफ्ते में दो बार मछली खाएं। इससे रोज़ाना लगभग 500 mg EPA और DHA मिलता हैं।
  • शाकाहारी ऊपर बताए गए तेल, नट्स और बीजों को डाइट में शामिल करें।
  • जिन लोगों में ट्राइग्लिसराइड बहुत ज़्यादा हैं, उन्हें फिश ऑयल कैप्सूल की ज़रूरत पड़ सकती है।
  • इसमें कोई दो राय नहीं कि शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्तर बढ़ने से ट्राइग्लिसराइड और मेटाबॉलिक हेल्थ दोनों में सुधार होता है।

क्या सप्लीमेंट्स सुरक्षित हैं?

सप्लीमेंट्स सुरक्षित हैं लेकिन कुछ लोगों को पेट खराब या ‘फिशी डकारें’ आ सकती हैं।

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