सर्दी का मौसम आ गया है और ठंड लगातार जोर पकड़ रही है। सर्दी के मौसम में सर्द हवाएं, मौसम में बदलाव, बढ़ता प्रदूषण और खराब डाइट का सेवन करने से इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है और मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। इस मौसम में ज्यादातर लोग गले की सर्दी, जुकाम और खांसी से परेशान हैं। सर्दियों में सर्दी-जुकाम ज्यादा होने का कारण संक्रमण फैलाने वाले वायरस भी है जो खासतौर पर नाक, गले और साइनस को प्रभावित करता है। सर्द मौसम में सर्दी जुकाम को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का सेवन सिर्फ बॉडी को आलसी बनाता है और नींद आती है। इन दवाओं को खाने से सिर्फ बुखार को कंट्रोल किया जाता है और सर्दी जुकाम जस का तस बना रहता है।

अगर आप भी सर्दी जुकाम से परेशान हैं तो आप कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाएं। कुछ घरेलू नुस्खे ऐसे हैं जो संक्रमण को कंट्रोल करते हैं, एलर्जी पर काबू पाते हैं, गले की खराश और खांसी भी दूर करते हैं। इंटरनेट पर आजकल एक देसी नुस्खा जोरों से परोसा जा रहा है जिसमें दावा किया गया है कि नाक में कुछ बूंदे घी की लगाने से मौसमी संक्रमण से बचाव होता है और सर्दी-खांसी का इलाज होता है। इस दावे में कितनी सच्चाई है उसके लिए ENT डॉक्टर से करते हैं पता।

घी कैसे सर्दी जुकाम पर करता है काबू

सीके बिड़ला अस्पताल, दिल्ली में इंटरनल मेडिसिन के प्रमुख सलाहकार डॉ. नरेंद्र सिंघला ने बताया कि घी को नाक के नथुनों में लगाना सेहत के लिए कई तरह फायदेमंद है लेकिन फिर भी आप एक बाक डॉक्टर से पूछ लें। घी को थोड़ा गर्म कर लें और साफ उंगलियों से नाक के नथुने में थोड़ी मात्रा लगाएं। रोजाना एक या दो बार इस तरह घी को नाक में लगाने से फायदा होगा। नासिका में देसी घी लगाना एक पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रेक्टिस है जिससे ओवर ऑल हेल्थ में सुधार होता है।

देसी घी जो अपने सूजन-रोधी गुणों के लिए जाना जाता है, इसका इस्तेमाल नाक में करने से बंद नाक खुलती है,एलर्जी और खुजली कंट्रोल होती है। सर्दी में यह दवा की तरह काम करता है। इससे एलर्जी कंट्रोल होती है और सर्दी जुकाम से राहत मिलती है।

आयुर्वेद के मुताबिक घी से सर्दी जुकाम का इलाज

आयुर्वेद के मुताबिक नाक में घी लगाने को “नस्य क्रिया” कहा जाता है। जो सर्दी जुकाम और एलर्जी को कंट्रोल करने में मदद करती है। नाक में घी लगाने से नाक की नलियों की चिकनाई बढ़ती है, जिससे धूल, परागकण और एलर्जी के कारण होने वाली परेशानियां दूर होती हैं। नाक में घी लगाने से नाक की झिल्लियां मॉइस्चराइज़ रहती है जिससे नाक की खुजली और ड्राईनेस से राहत मिलती है। नाक में घी लगाने से नाक के पास जमे हुए टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं जिससे सांस लेने की प्रक्रिया सुचारू होती है। 

आयुर्वेद के मुताबिक नाक में घी लगाने से मस्तिष्क को पोषण मिलता है जिससे याददाश्त दुरुस्त रहती है, एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है। नाक में घी लगाने से माइग्रेन के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। ये ब्रेन को ठंडक देता है और अनिद्रा का इलाज करता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर इस घी को नाक में लगाने से नाक और साइनस की सूजन को कम किया जा सकता है।

घी का इस्तेमाल कैसे करें

घी को नाक में लगाने के लिए आप शुद्ध देसी घी लें और उसे गर्म कर लें। हल्का गुनगुने इस घी को सुबह और रात को सोने से पहले 2-2 बूंद नाक में डालें। यह आयुर्वेदिक उपचार का एक हिस्सा है लेकिन इसे आधुनिक चिकित्सा के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि पूरक के रूप में अपनाना चाहिए।

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