अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। मस्कुलोस्केलेटल भी एक ऐसी समस्या है, जो तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। दरअसल, पिछले 15 सालों में भारत में युवा आयु वर्ग विशेष रूप से 30 और 40 की आयु के लोगों में मस्कुलोस्केलेटल समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों, लिगामेंट्स या टेंडन में दर्द, सूजन या कमजोरी होने लगती है। आंकड़ों के अनुसार, हर 5 में से 1 व्यक्ति इस तरह के दर्द से परेशान रहता है। यह समस्या उम्रदराज लोगों में ही नहीं, बल्कि युवाओं और ऑफिस में काम करने वाले प्रोफेशनल्स में भी तेजी से बढ़ रही है।
मुंबई के घुटने, कंधे और कूल्हे के सर्जन डॉ. अमीन राजानी ने राष्ट्रीय अस्थि एवं जोड़ दिवस (National Bone and Joint Day) से पहले हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के बारे कई जानकारी साझा की है। दरअसल, राष्ट्रीय अस्थि एवं जोड़ दिवस हर साल 4 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, खासकर भारत में 2021 में भारतीय अस्थि रोग संघ (IOA) द्वारा शुरू किया गया एक अभियान। इसका उद्देश्य हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और मस्कुलोस्केलेटल विकारों को रोकना है।
डॉ. अमीन राजानी ने कहा कि एक दशक पहले हड्डियों और जोड़ों की समस्या को उम्र से संबंधित माना जाता था, लेकिन आज युवा वयस्कों को विशेष रूप से 30-50 आयु वर्ग में जोड़ों की समस्याओं, खेल और जिम से संबंधित चोटों में भारी वृद्धि, आसन संबंधी सिंड्रोम के बढ़ते मामलों के साथ-साथ गलत फिटनेस डेलीरूटीन, गैजेट के अत्यधिक उपयोग और घर से काम करने की व्यवस्था के कारण बार-बार होने वाले तनाव संबंधी चोटों से ग्रस्त देख रहे हैं। कूल्हे में प्रारंभिक ऑस्टियोआर्थराइटिस और फीमोरो-एसिटाबुलर इंपिंगमेंट (एफएआई) जैसी स्थितियां शहरी बाह्य रोगी क्लीनिकों में अधिक दिखाई देने लगी हैं। 15 साल पहले ये हमारे ध्यान में नहीं थीं।
लगभग 5 में से 1 भारतीय किसी न किसी प्रकार के मस्कुलोस्केलेटल विकारों जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, लिगामेंट और मेनिस्कस की चोटों, फ्रोजन शोल्डर, कमर दर्द और स्लिप्ड डिस्क से पीड़ित है। इनमें से ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम है, खासकर घुटने के जोड़ का। यह 45 वर्ष से अधिक आयु के 22-39% शहरी वयस्कों को प्रभावित करता है। 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के बाद, हार्मोनल परिवर्तनों के कारण पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित होती हैं।
मस्कुलोस्केलेटल से कैसे करें बचाव
डॉ. अमीन रजनी के मुताहिक, कम उम्र में मस्कुलोस्केलेटल समस्या से बचने के लिए एक व्यक्ति कई उपाय कर सकता है। उसे रोजाना शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए, जैसे 30-45 मिनट टहलना, योग या तैराकी आदि। नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी जोड़ों और मांसपेशियों को हेल्दी बनाए रखने में मदद करती है। इसके अलावा आहार के माध्यम से कैल्शियम और विटामिन डी का पर्याप्त सेवन करने के साथ-साथ वजन कंट्रोल भी महत्वपूर्ण है।
वहीं, द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि रोजाना सिर्फ 7,000 कदम चलना भी स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए काफी हो सकता है।