जम्मू कश्मीर में राजौरी के बधाल गांव में 17 लोगों की रहस्यमय मौत का आंकड़ा सामने आया है। मौत का कारण किसी वायरस, खतरनाक इंफेक्शन या कैंसर जैसी घातक बीमारी नहीं है। गृह मंत्रालय पूरी जांच में जुटा है लेकिन डॉक्टर ने मौत के लिए विषैले पदार्थ को जिम्मेदार ठहराया है। डॉक्टरों के मुताबिक इन मौतों का कारण न्यूरोटॉक्सिन हैं। अब सवाल ये उठता है कि ये न्यूरोटॉक्सिन क्या हैं। क्या ये कोई वायरस है जो दिमाग में घुस जाता है जिससे इंसान की मौत हो रही है। देश भर के डॉक्टरों की टीम ने इस बात का पता लगाया है कि इन मौतों का कारण विषैले पदार्थ हैं जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं और मस्तिष्क और बॉडी के दूसरे हिस्सों में संचार में बाधा डालते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर न्यूरोटॉक्सिन क्या हैं और किस तरह ये मौत का कारण बनते हैं।
न्यूरोटॉक्सिन क्या है?
न्यूरोटॉक्सिन ऐसे विषैले पदार्थ होते हैं नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं। ये नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाकर ब्रेन और बॉडी के कई हिस्सों के काम को बाधित करते हैं। इसके प्रभाव के बॉडी में हल्के और गंभीर दोनों लक्षण दिखते हैं। गंभीर लक्षणों में मरीज की मौत तक हो सकती है।
न्यूरोटॉक्सिन किस तरह करता है काम ?
न्यूरोटॉक्सिन सीधे न्यूरॉन्स को नष्ट कर सकते हैं जिससे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की कार्य क्षमता कम हो जाती है। यह सिग्नल ट्रांसमिशन में बाधा डालता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन और सेरोटोनिन के काम को रोकता हैं जिससे मसल्स, बॉडी पार्ट और ब्रेन के बीज कनेक्शन बाधित होता है।
न्यूरोटॉक्सिन किस तरह बना मौत का कारण
कुछ न्यूरोटॉक्सिन जैसे बोटुलिनम टॉक्सिन इतना ज्यादा ताकतवर होता हैं कि ये न्यूरोमस्कुलर सिस्टम को पूरी तरह से बंद कर सकता हैं जिससे श्वसन तंत्र फेल हो सकता है और इंसान की मौत हो सकती है। जब न्यूरोटॉक्सिन मांसपेशियों और श्वसन तंत्र पर असर डालते हैं तो इंसान सांस लेना बंद कर सकता है।
न्यूरोटॉक्सिन ब्रेन पर कैसे करते हैं असर
ये न्यूरोटॉक्सिन ब्रेन पर भी असर करते हैं। ये ब्रेन की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे इंसान कोमा में जा सकता है या उसकी मौत हो सकती है। तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ने से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है जो घातक हो सकता है। अगर किसी इंसान को सांप, बिच्छू या कुछ जानवर काट ले तो ये टॉक्सिन दिमाग में घुस कर उसे खत्म कर देते हैं। बैक्टीरिया, एल्गी और कुछ प्लांट भी टॉक्सिन का निर्माण करते हैं। इन टॉक्सिन के दिमाग में घुसने से दिमाग में टॉक्सिन बनने लगते हैं।
न्यूरोटॉक्सिन कहा से आते हैं?
ये न्यूरोटॉक्सिन सांप के जहर, कुछ जहरीले पौधे और समुद्री जीव से आता है। पेस्टिसाइड्स जैसे सीसा और पारा से भी ये न्यूरोटॉक्सिन आते हैं। कुछ नशीले पदार्थ और दवाइयों का सेवन करने से भी ये टॉक्सिन आते हैं।
इन टॉक्सिन के ब्रेन में घुसने के बाद बॉडी में दिखते हैं ये लक्षण
दिमाग में इन टॉक्सिन के घुसने के बाद बॉडी में कमजोरी आती है और मसल्स वीक हो जाते हैं। दिमाग में कंफ्यूज होने लगता है और दौरा पड़ सकता है। मरीज को लकवा मार सकता है और हार्ट फेल हो सकता है।
बचाव कैसे किया जाए
- इन टॉक्सिन का तुरंत इलाज करें और रोगी को ऑक्सीजन और वेंटिलेशन दें।
- जहरीले पदार्थों और संदिग्ध खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
- न्यूरोटॉक्सिन के प्रभाव और जोखिम के बारे में लोगों का शिक्षित होना जरुरी है। सही समय पर इलाज और सावधानी बरतने से जान बचाई जा सकती है।
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