कोविड-19 एक ऐसी महामारी है जिसने देश और दुनिया के करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया। लाखों लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हुई। इस महामारी ने जिन लोगों की जान बख्शी उन्हें सौगत में कई बीमारियां भी साथ दे दी। जी हां हाल ही में एक मेडिकल रिसर्च में ये बात सामने आई है कि कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों में फेफड़ों से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 से उबरने वाले भारतीयों के लंग्स की कार्यक्षमता में कमी आई और महीनों तक मरीजों में लंग्स की परेशानी बनी रही।

रिसर्च में पाया गया कि यूरोपीय और चीनियों की तुलना में भारतीयों के फेफड़ों की कार्यक्षमता अधिक खराब हुई। रिसर्च के मुताबिक कोविड से रिकवर हुए जिन भारतीयों को फेफड़ों की परेशानी हुई उनमें से कुछ लोगों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो गई जबकि गंभीर लक्षण वाले लोगों को जिंदगी भर फेफड़ों से जुड़ी परेशानी के साथ रहना पड़ेगा।

रिसर्च के मुताबिक कोविड ने कैसे लंग्स को किया प्रभावित?

भारतीयों में फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर SARS-CoV-2 के प्रभाव की जांच करने के लिए 207 व्यक्तियों की जांच की गई। महामारी की पहली लहर के दौरान आयोजित यह अध्ययन हाल ही में पीएलओएस ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ था। रिसर्च में कोविड से ठीक होने वाले कोविड के हल्के, मध्यम और गंभीर मरीजों का कंप्लीट लंग्स फंक्शन टेस्ट, 6 मिनट का वॉक टेस्ट,ब्लड टेस्ट और लाइफस्टाइल का आकलन किया गया।

सबसे संवेदनशील लंग फंक्शन टेस्ट यानि गैस ट्रांसफर (DLCO), जो सांस लेने में ली गई हवा से ऑक्सीजन को रक्तप्रवाह में ट्रांसफर करने की क्षमता को मापता है, 44% प्रभावित हुआ, जिसे डॉक्टरों ने बहुत चिंताजनक बताया है। रिसर्च के मुताबिक 35% में प्रतिबंधात्मक फेफड़े का दोष (restrictive lung defect) था, जो सांस लेते समय हवा के साथ फेफड़ों के फूलने की क्षमता को प्रभावित करता था और 8.3% में अवरोधक फेफड़े का दोष था, जो फेफड़ों में हवा के अंदर और बाहर जाने की आसानी को प्रभावित करता था।

इस रिसर्च में क्वालिटी ऑफ लाइफ टेस्ट में भी नकारात्मक असर देखा गया। रिसर्च के मुताबिक कोविड की चपेट में आने वाले चीनी और यूरोपीय लोगों की तुलना में भारतीयों की स्थिति काफी बदतर थी। भारतीयों की स्थिति बदतर होने का कारण लोगों का डायबिटीज और बीपी का शिकार होना है।

नानावती अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के प्रमुख डॉ. सलिल बेंद्रे ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है कि कोविड के मध्यम से गंभीर संक्रमण के मरीजों में शुरुआत के लगभग 8-10 दिनों के बाद अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई थी। संक्रमण के बाद लंग्स फाइब्रोसिस विकसित होने के दौरान मरीजों को ऑक्सीजन स्पोर्ट और स्टेरॉयड देकर उपचार किया गया। इनमें से लगभग 95% रोगियों के फेफड़ों की क्षति धीरे-धीरे ठीक हो जाती है जबकि 4-5% स्थायी हानि के साथ रह जाते हैं।