आजकल के समय में तनाव और मूड स्विंग की समस्या बहुत ही आम हो गई है। हालांकि मौसम में बदलाव के कारण भी मूड स्विंग अधिक हो सकता है, जिसके चलते चिड़चिड़ापन, उदासी और गुस्से का सामना करना पड़ता है। तनाव और मूड स्विंग का सीधा असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। मूड स्विंग्स यानी मूड का बार-बार और जल्दी-जल्दी बदलना, कभी बहुत खुश तो कभी अचानक उदास या चिड़चिड़ा महसूस करना। ये सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। मनोचिकित्सक डॉ. अजीत दांडेकर ने बताया कि मूड स्विंग और तनाव को कम करने के लिए क्या करना चाहिए और इसका सेहत पर क्या असर पड़ता है।
डॉ. अजीत दांडेकर के मुताबिक, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, कामकाज का प्रेशर और हार्मोन में आने वाले बदलाव के चलते मूड स्विंग का खतरा अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि आज के समय में युवाओं में मूड स्विंग सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। शारीरिक और मानसिक बदलाव के चलते उनकी सोच, विचारधारा और व्यवहार में बहुत बदलाव आने लगता है।
परिस्थितियों को कंट्रोल करना सीखें
कामकाज और व्यस्तता के चलते कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिसके चलते कई बार तनाव और मूड खराब हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों से मन के संतुलन को बनाए रखना और स्थिति को कंट्रोल करना सीखें, इससे मानसिक स्वास्थ्य पर असर प्रभाव नहीं पड़ेगा और मेंटल हेल्थ अच्छी बनी रहेगी।
बदलाव को स्वीकार करें
मूड स्विंग और तनाव को कंट्रोल करने के लिए लाइफ में होने वाले बदलावों को स्वीकार करना सीखें, क्योंकि बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाता है तो ये दिमाग पर असर करती है। ऐसे में सोचने और विचार करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक रिसर्च के अनुसार, मस्तिष्क उत्तेजना, एनर्जी ड्रिंकए मौसमी बदलाव और हार्मोनल बदलाव को मूड स्विंग के ट्रिगर्स प्वाइंट बताया गया है।
नियमित व्यायाम करें
नौकरी और अन्य परिस्थितियों के कारण हमें बहुत ज्यादा बैठना पड़ता है, लेकिन अपनी दिनचर्या में ज्यादा शारीरिक गतिविधि जोड़ने से आपके मूड पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। रिसर्च के मुताबिक, एक्सरसाइज करने से मूड को बेहतर बनाने वाले रसायन निकलते हैं और नींद आने में मदद मिल सकती है।
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