Manmohan Singh Death Reason: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh Death) ने 26 दिसंबर को दुनिया को अलविदा कह दिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में बीती रात दिल्ली के AIIMS अस्पताल में निधन हो गया। पूर्व पीएम फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। पूर्व प्रधानमंत्री की कॉन्शियसनेस यानी चेतना भी खो गई थी। इसके अलावा वह लंबे समय से रेस्पिरेटरी डिजीज से भी जूझ रहे थे। चलिए आपको बताते हैं रेस्पिरेटरी डिजीज क्या होती है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पिछले कई सालों से खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे थे। 26 दिसंबर को करीब 8 बजे उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। इसके कुछ समय बाद ही डॉक्टरों ने उनकी मौत की पुष्टि कर दी थी। दरअसल, मनमोहन सिंह सांस से जुड़ी बीमारी से परेशान चल रहे थे। उन्हें रेस्पिरेटरी डिजीज की वजह से सांस लेने में दिक्कत महसूस होती थी। रेस्पिरेटरी डिजीज के चलते की फेफड़ों की सेहत बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है। इस समस्या का मुख्य कारण वायु प्रदूषण, इंफेक्शन और स्मोकिंग आदि होता है।

1990 में करवाई थी सर्जरी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस समस्या का पता चलते ही पहली सर्जरी 1990 में करवाई थी। एक्सपर्ट्स के अनुसार, दिल में ब्लॉकेज का पता चलने के बाद बायपास सर्जरी करवानी पड़ती है। मनमोहन सिंह को जैसे ही अपने हार्ट में ब्लॉकेज का पता चला तो उन्होंने साल 1990 में पहली बायपास सर्जरी करवाई थी। इसके बाद साल 2003 में मनमोहन सिंह ने एंजियोप्लास्टी भी करवाई थी।

रेस्पिटरी डिजीज का मुख्य कारण?

सांस लेने में दिक्कत होने पर रेस्पिटरी डिजीज होने का खतरा बढ़ता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। जिसके चलते फेफड़े से काम नहीं कर पाते और धीरे-धीरे करके फेफड़े डैमेज हो जाते हैं। यह लंग्स इंफेक्शन, स्मोकिंग, एयर पॉल्यूशन और पैसिव स्मोकिंग आदि के कारण हो सकती है।

रेस्पिरेटरी डिजीज

  • फेफड़े का कैंसर
  • अस्थमा
  • टीबी
  • क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
  • वातस्फीति
  • ब्रोंकाइटिस
  • पुल्मनरी फाइब्रोसिस
  • सारकॉइडोसिस

यह बीमारी सांस से जुड़ी बीमारी है। जब किसी इंसान को रेस्पिरेटरी डिजीज होती है तो उसे सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगती है। इस बीमारी में सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। सर्दियों के मौसम में रेस्पिरेटरी डिजीज का खतरा अधिक रहता है, क्योंकि सर्दियों में प्रदूषण के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल, डाइट प्लान और वातावरण की वजह से भी सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा, इन दो बीमारियों की वजह से काफी ज्यादा जान जाती हैं। ये बीमारियां युवाओं को भी अपना शिकार बना रही हैं।

रेस्पिरेटरी डिजीज से बचाव

  • टीकाकरण कराएं, खासकर फ्लू और निमोनिया का टीका।
  • संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लें।
  • हाथों को अच्छी तरह से साफ करें।
  • रहने की जगह को साफ और हवादार रखें।
  • एलर्जी और प्रदूषण से बचें।