राजधानी दिल्ली में जैसे-जैसे ठंड बढ़ना शुरू होती है वैसे-वैसे वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगता है। वायु प्रदूषण के चलते सांस संबंधी बीमारियों और संक्रामक रोगों का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जिससे लोगों की जान तक चली जाती है। इस बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाली मौत के प्रमुख कारणों पर एक सरकारी रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में दो बीमारियों से सबसे अधिक मौत हो रही हैं।
सांस की बीमारी से सबसे ज्यादा मौत
रिपोर्ट के अनुसार, सांस की बीमारियां दिल्ली एनसीआर में होने वाली मौतों के नौ कारणों में से एक है और यह 10 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। 2023 में हैजा, डायरिया, तपेदिक और हेपेटाइटिस बी जैसी संक्रामक और परजीवी बीमारियों ने करीब 21,000 लोगों की जान ली थी।
रिपोर्ट से हुआ खुलासा
इस रिपोर्ट को दिल्ली सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय ने जारी किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में कुल 88,628 संस्थागत मौतों में से लगभग 21,000 लोगों की मौत संक्रामक और परजीवी बीमारियों के कारण हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि उम्र के हिसाब से मौतों की अधिकतम संख्या 45-64 वर्ष की आयु के लोगों में दर्ज की गई, क्योंकि 2023 के दौरान कैंसर और संबंधित बीमारियों के कारण मौतों की संख्या 6,054 दर्ज की गई, जो 2022 में दर्ज 5,409 से लगभग 12 प्रतिशत अधिक थी।
दिल्ली में होने वाली मौतों के कारणों की रिपोर्ट
दिल्ली में प्रतिदिन होने वाली मौतों की औसत संख्या वर्ष 2023 में 363 हो गई, जबकि वर्ष 2022 में यह 351 थी। इसमें 5.94 प्रतिशत मौतें पाचन तंत्र की बीमारी के कारण हुईं। करीब 10 प्रतिशत मौतें श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण हुईं। इसके अलावा 5-14 वर्ष की आयु के बच्चों में 29.56 प्रतिशत मृत्यु का कारण संक्रामक और परजीवी रोग है और 11.60 प्रतिशत मृत्यु का कारण सांस की समस्या (श्वसन तंत्र) के रोग हैं।