आमतौर पर हम सांस फूलने और खांसी की समस्या को बढ़ती उम्र या बदलते मौसम का कारण समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये धीरे-धीरे मौत का कारण तक बन जाती है। दरअसल, दुनिया भर में हार्ट और कैंसर के बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) एक लॉन्ग टर्म क्रोनिक फेफड़ों की बीमारी है, जो दुनिया भर में अधिक संख्या में लोगों की जान तक ले रही है। सीओपीडी में एयरवे ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती हैं, जिससे हमें सांस लेने में तकलीफ होती और फिर खांसी की समस्या शुरू हो जाती है।

सीओपीडी से भारत में लगभग 63 मिलियन लोग प्रभावित

मोहाली के लिवासा अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सोनल के मुताबिक, सीओपीडी फेफड़ों की बीमारी का एक प्रगतिशील रूप है, जो हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) भारत में लगभग 63 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है, जो विश्व की सीओपीडी आबादी का लगभग 32 प्रतिशत है।

वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश कुमार गोयल ने कहा कि सीओपीडी से एड्स, टीबी, मलेरिया और मधुमेह से होने वाली मौतों की संख्या से भी ज्यादा मौतें होती हैं। भारत में इसका प्रचलन लगभग 5.5 प्रतिशत से 7.55 प्रतिशत है और हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुषों में सीओपीडी की व्यापकता दर 22 प्रतिशत और महिलाओं में 19 प्रतिशत तक है।

आंतरिक चिकित्सा के सलाहकार डॉ रंजीत कुमार गोन ने कहा कि सीओपीडी एक लाइलाज और प्रगतिशील स्थिति है, जो फेफड़ों में सांस लेने के रास्ते में सूजन पैदा करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। सीओपीडी के लंबे समय तक होने से हृदय के दाहिना हिस्सा प्रभावित होता है।

आंतरिक चिकित्सा के परामर्शदाता डॉ. जगपाल पंधेर ने बताया कि सीओपीडी के 46 प्रतिशत मामले धूम्रपान के कारण होते हैं। इसके बाद बाहरी और आंतरिक प्रदूषण के कारण सीओपीडी के 21 प्रतिशत मामले होते हैं। इसके अलावा गैस और धुएं के संपर्क में आने के कारण 16 प्रतिशत मामले होते हैं।

सीओपीडी से बचने के लिए क्या करें

सीओपीडी की बीमारी के बचने के लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत फायदेमंद होती है। सीओपीडी मरीज की शारीरिक गतिविधि को कम करता है और इससे मृत्यु दर बढ़ जाती है। ऐसे में साइकिल चलाना, एक्सरसाइज करना और स्ट्रेंथ में ग्रोथ करना असरदार हो सकता है। व्यायाम करने से सांस फूलने की दिक्कत को धीरे-धीरे कर किया जा सकता है। इसके अलावा फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और सांस लेने की समस्या को दूर करने के लिए पर्स-लिप ब्रीदिंग और डायाफ्रामिक ब्रीदिंग जैसे तरीके अपना सकते हैं। इसी तरह अपने खानपान का ध्यान रखें और धुएं के संपर्क में आने से बचें।