हीमोलिटिक एनीमिया एक प्रकार का एनीमिया है। इसमें रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है, क्योंकि रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया की स्थिति भी तब आती है जब रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बहुत कम हो जाता है। हीमोलिटिक एनीमिया में, तिल्ली स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) को पकड़कर नष्ट करना शुरू कर देती है।

हीमोलिटिक एनीमिया एक्सट्रिंसिक या इंट्रिंसिक हो सकता है। एक्सट्रिंसिक हीमोलिटिक एनीमिया में स्प्लीन लाल रक्त कोशिकाओं को पकड़ लेता है और नष्ट कर देता है। इसके अलावा ऑटोइम्यून रिएक्शन से एक्सट्रिंसिक हीमोलिटिक एनीमिया भी हो सकता है। इंट्रिंसिक हीमोलिटिक एनीमिया में शरीर द्वारा बनाई गई लाल रक्त कोशिकाएं ठीक से काम नहीं करती हैं। आइए जानते हैं इस बीमारी के मुख्य कारण, लक्षण और उपचार-

हीमोलिटिक एनीमिया के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Haemolytic Anemia)

हीमोलिटिक एनीमिया होने के कई कारण होते हैं जिसकी वजह से हर व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं।

  • त्वचा में पीलापन आना
  • थकान महसूस होना
  • बार-बार बुखार आना
  • भ्रम के स्थिति में रहना
  • सिर का घूमना
  • चक्कर आना
  • शारीरिक गतिविधियों में कमजोरी महसूस होना

इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) के अन्य लक्षण भी हैं जो दिखाई देते हैं :

  • गहरे रंग का यूरीन होना
  • आंखों और त्वचा का पीला पड़ जाना
  • हार्ट रेट का बढ़ जाना
  • स्पलीन का बढ़ जाना
  • लिवर का बढ़ना
  • इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

हीमोलिटिक एनीमिया होने के कारण क्या हैं? (Cause of Haemolytic Anemia)

रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) के खत्म होने के कारण हीमोलिटिक एनीमिया का विकार होता है। इसके अलावा निम्न कारणों से भी यह रोग हो सकता है।

  • सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के मरीजों में हीमोलिटिक एनीमिया होने का खतरा अधिक होता है।
  • किसी भी ऐसे खाद्य पदार्थ के सेवन से जो एलर्जी हो या ऐसी कोई भी दवा लेने से नकारात्मक प्रभाव पड़ना।
  • हीमोलिटिक एनीमिया किडनी या गुर्दे की बीमारी के कारण हो सकता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित समस्या होना या प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना।
  • इन शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

हीमोलिटिक एनीमिया का उपचार कैसे होता है? (Treatment for Haemolytic Anaemia)

हीमोलिटिक एनीमिया का इलाज मरीज के शरीर में खून चढ़ाकर भी किया जाता है। लेकिन डॉक्टर लक्षणों के आधार पर और जरूरत के अनुसार हीमोलिटिक एनीमिया का इलाज करते हैं। इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया में खुद को बचाकर आप मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों से भी खुद को बचा सकते हैं। इसके अलावा इस बीमारी का इलाज इन तरीकों से भी किया जाता है।

  • रेड ब्लड सेल्स (RBC) के ट्रांसफ्यूजन से
  • IVIG (इम्यूनोग्लोब्युलिन इंटरवेन्यूस्ली) की मदद से इलाज किया जाता है
  • कर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroid) की मदद ली जाती है
  • सर्जरी