Tips for Thyroid Patients: ‘थायरॉयड’ गर्दन में एक विशेष ग्लैंड को कहा जाता है जो थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है। लेकिन इस हार्मोन के अनियमित होने पर लोग हाइपर व हाइपो थायरॉयड की परेशानी से जूझते हैं। हाइपो थायरॉयड को अंडर एक्टिव थायरॉयड भी कहा जाता है। ये वो स्थिति होती है जब थायरॉयड ग्लैंड हार्मोन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाता है। ये हार्मोन शारीरिक गतिविधियों के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में जब शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है तो बॉडी की एक्टिविटीज धीमी पड़ जाती हैं। साथ ही, इससे शरीर में एनर्जी व मेटाबॉलिज्म भी कम हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किन पोषक तत्वों की कमी से होती है ये बीमारी और कैसे करें इसे पूरा –
विटामिन डी: थायरॉयड एक ऑटो-इम्युन डिजीज है यानी कमजोर इम्युनिटी के लोगों को इससे अधिक खतरा है। विटामिन डी की कमी भी इम्युनिटी को प्रभावित करती है, ऐसे में हाइपो थायरॉयड की संभावना लोगों में बढ़ जाती है। आमतौर पर जिन लोगों को हाइपो थायरॉयड की बीमारी होती है, उनके शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है। अंडे का पीला हिस्सा, फैटी फिस, मशरूम और सूरज की किरणें शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ाती हैं।
आयोडीन: थायरोक्सिन हार्मोन को सिंथेसाइज करने के लिए थायरॉयड ग्लैंड को आयोडीन की जरूरत पड़ती है। कई शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि शरीर में कुछ मात्रा में भी अगर आयोडीन की कमी होती है तो ये थायरॉयड संबंधित परेशानियों को बढ़ा सकती हैं। थायरॉयड सेल्स आयोडीन को एब्जॉर्ब करते हैं और टायरोसीन अमीनो एसिड के साथ मिल कर T3 और T4 हार्मोन बनाते हैं। आयोडीन युक्त नमक, पनीर, दूध और दही को आयोडीन का प्राकृतिक स्रोत माना जाता है।
कॉपर: थायरॉयड के फंक्शन के लिए शरीर में कॉपर की आवश्यकता पड़ती है। जब खून में कॉपर की मात्रा कम हो जाती है तो इससे T3 और T4 हार्मोन के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। हाइपो थायरॉयड के मरीजों में अगर इस पोषक तत्व की कमी हो जाए तो इससे उन्हें ज्यादा ठंड लगने की शिकायत हो सकती है। शरीर में कॉपर की कमी को दूर करने के लिए लोगों को बादाम, तिल, मशरूम, आलू और बीन्स का सेवन करना चाहिए।