डायबिटीज से पहले की स्थिति को प्री-डायबिटीज कहा जाता है। प्री-डायबिटीज वह स्थिति है जिसमें ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन यह टाइप 2 डायबिटीज की सीमा तक नहीं पहुंचता। इसका मुख्य कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस माना जाता है। इंसुलिन पैंक्रियास द्वारा बनता है और ये शुगर को कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है। जब शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं करता, तो शुगर ब्लड में जमा होने लगती है।
प्री-डायबिटीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसमें फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (FPG) टेस्ट शामिल है। टेस्ट रिपोर्ट 100–125 mg/dL तक आना प्री-डायबिटीज की ओर संकेत कर सकता हैं। इसके अलावा, HBA1C टेस्ट भी किया जा सकता है, जो पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर को मापता है। अगर HBA1C टेस्ट 5.7 से 6.4% तक रहे तो प्री-डायबिटीज की स्थिति होती है।
हेल्थलाइ के मुताबिक प्री-डायबिटीज के लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ लोगों में बगल, गर्दन और कोहनियों के आसपास की स्किन पर दिखाई देते हैं। बगल, गर्दन और कोहनियों के पास की स्किन का काला पड़ना प्री-डायबिटीज के लक्षण हैं। प्री-डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसे रिवर्स किया जा सकता है। अगर समय रहते खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव किया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को टाला जा सकता है। सही डाइट और लाइफस्टाइल अपनाकर प्री डायबिटीज की स्थिति को रिवर्स किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि डाइट और लाइफस्टाइल में कौन से बदलाव करें कि प्री डायबिटीज को रिवर्स कर सकें।
हेल्दी ईटिंग हैबिट्स
प्री-डायबिटीज में डाइट सबसे अहम है। प्रोसेस्ड और मीठे फूड का सेवन करने से बचें। डाइट में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, दालें, मछली, चिकन और नट्स शामिल करें। ऑलिव ऑयल जैसे हेल्दी फैट्स लें। शुगर ड्रिंक्स और वाइट ब्रेड से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है, इसलिए इन्हें अवॉइड करें। छोटे-छोटे मील्स में संतुलित खाना खाएं और पर्याप्त पानी पिएं। यह तरीका इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाता है।
रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी
हर दिन कम से कम 30 मिनट वॉक, साइक्लिंग या स्विमिंग करें। सप्ताह में 5 दिन एक्सरसाइज करने से शरीर ग्लूकोज बर्न करता है और इंसुलिन का असर बेहतर होता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, 150 मिनट वीकली एक्सरसाइज प्री-डायबिटीज को रिवर्स करने में मददगार है। इससे वजन भी कम होता है और हार्ट हेल्थ में भी सुधार होता है।
वजन को कंट्रोल करें
पेट और शरीर की अतिरिक्त चर्बी इंसुलिन को प्रभावित करती है। रिसर्च के मुताबिक केवल 5 से 7% वजन कम करने से ब्लड शुगर काफी बेहतर हो जाता है। फैट कम करने से लिवर और मसल्स इंसुलिन के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिससे ब्लड में शुगर का स्तर कम होता है। हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज करने से वजन कंट्रोल रहता है और बॉडी हेल्दी रहती है।
पर्याप्त नींद लें और तनाव कम करें
तनाव के समय शरीर कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज करता है, जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है। योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग करके आप तनाव को कंट्रोल कर सकते हैं। तनाव को कंट्रोल करने में नींद भी बेहद जरूरी है, क्योंकि कम नींद लेने पर इंसुलिन का असर घट जाता है। रोज़ाना 7–8 घंटे की नींद लें, अच्छी नींद लेकर और तनाव कंट्रोल करके प्री-डायबिटीज को जल्दी रिवर्स कर सकते हैं।
रेगुलर ब्लड शुगर चेक करें
प्री-डायबिटीज को रिवर्स करना है तो आप समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच करते रहें। डॉक्टर और डाइटीशियन से मिलकर पर्सनल डाइट और एक्सरसाइज प्लान बनाएं। ज़रूरत पड़ने पर दवाइयां भी दी जा सकती हैं। प्री-डायबिटीज को रिवर्स करना केवल इलाज नहीं, बल्कि एक लंबी लाइफस्टाइल चेंज की प्रक्रिया है।
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