फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे हिन्दी में हाथी पांव कहते हैं। फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर से बचपन में होता है, मगर इसके लक्षण 7 से 8 साल की उम्र में दिखाई देते हैं। अगर इस बीमारी की समय पर पहचान कर ली जाएं तो बॉडी को खराब होने से बचाया जा सकता है। हाथी पांव होने पर इस परेशानी को प्राथमिक अवस्था में रोका जा सकता है लेकिन उसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता।
कैसे फैलता है फाइलेरिया: फाइलेरिया बिमारी फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। जिसमें मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता है और ये परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस संक्रमण की शुरूआत बचपन में ही होती है लेकिन बॉडी में इसके लक्षण लम्बे समय बात दिखते हैं।
जिस इंसान की बॉडी में ये प्रवेश करता है वो सामान्य और हेल्दी दिखता है लेकिन अचानक से कुछ सालों बाद उसकी टांगों, हाथों एवं शरीर के अन्य अंगों में सूजन आने लगती है।
फाइलेरिया के लक्षण: फाइलेरिया मच्छरों के काटने से बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल में सूजन भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
फाइलेरिया के मरीज इस तरह रखें अपना ध्यान:
हाथ पैरों पर अगर कहीं कोई घाव है तो उसे अच्छे से साफ करें और सुखाकर उसपर दवाई लगाएं।
फाइलेरिया के मरीज को अपने पैर बिस्तर से छह इंच ऊंचा रखना चाहिए। पैरों को बराबर रख कर रिलेक्स रखना चाहिए।
पैरों में हमेशा पट्टे वाली ढीली चप्पल पहने।
सूजन वाली जगह को हमेशा चोट से बचाएं।
ऐसे करें फाइलेरिया से बचाव:
इस बीमारी के फैलने की मुख्य वजह मच्छर हैं इसलिए उनसे बचाव करना जरूरी है। घर के आस-पास सफाई रखें ताकि मच्छर अपना प्रभाव नहीं डालें।
घर में कीटनाशक का छिड़काव करें और घर में कहीं भी पानी को जमा नहीं होने दें।
सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं।