Children Eyesight Problems: बच्चे गैजेट्स, फोन, टीवी और लैपटॉप पर गेम खेलना पसंद करते हैं। हालांकि, स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों की आंखों पर असर पड़ सकता है। बच्चों की नजर कमजोर होने पर आंखों में दर्द , धुंधली नजर और सिर दर्द जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं। स्क्रीन पर लगातार समय बिताने से बच्चों को कम उम्र में ही चश्मा लग जाता है। अगर बच्चों की टीवी या मोबाइल फोन पर ज्यादा समय बिताने की आदत को समय रहते सुलझा लिया जाए तो इस समस्या को सफलतापूर्वक रोका जा सकता है।

इस तरह से बच्चों की कमजोर आंखों की पहचान

ज्यादातर बच्चे खुद भी नहीं समझते कि उनकी आंखें कमजोर हो रही हैं। ऐसे में कुछ शुरुआती लक्षणों को देखकर आप पता लगा सकते हैं कि आपके बच्चे को आंखों की समस्या है। कई बार आंखें कमजोर होने पर उनमें जलन और खुजली होने लगती है। ऐसे में बच्चे बार-बार आंखें मलने लगते हैं। इसलिए अगर आपका बच्चा ज्यादा देर तक अपनी आंखें मलता है तो उसे डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।

अगर आपका बच्चा अक्सर सिर दर्द की शिकायत करता है तो यह भी कमजोर नजर के शुरुआती लक्षणों में से एक है। ऐसे में अगर आपके बच्चे को नियमित रूप से सिरदर्द हो रहा है तो आंखों की जांच जरूर कराएं। यदि आपके बच्चे को पढ़ने या देखने के लिए चीजों को पास लाना पड़ता है तो यह आंखें कमजोर होने का लक्षण हो सकता है। ऐसा होने पर अपने बच्चे को आंखों के डॉक्टर के पास ले जाएं और जांच कराएं। आइए जानते हैं आंखों की देखभाल के लिए टिप्स-

बच्चों के खान-पान का रखें ध्यान

आहार में पोषक तत्वों की कमी से आंखों की रोशनी कम हो सकती है। ऐसे में बच्चों के आहार में विटामिन ए, सी, ई और जिंक एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व शामिल होने चाहिए। आंखों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ओमेगा -3 फैटी एसिड भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप अपने बच्चे की डाइट में गाजर, ब्रोकली, पालक, स्ट्रॉबेरी और शकरकंद को शामिल कर सकते हैं।

गैजेट्स से दूर रहें

गैजेट्स से सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों की आंखों को होता है। ये गैजेट्स बच्चों की आंखों की रोशनी को कमजोर करने का काम करते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से रोकें। इसके लिए बच्चों के लिए कुछ समय आरक्षित करें और उनके साथ तरह-तरह के माइंड गेम खेलें।

बच्चों की आंखों की जांच कराएं

आंखें हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण और नाजुक अंगों में से एक हैं। ऐसे में समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। इसलिए आंख की कोई भी समस्या होने पर समय रहते उसका निदान कर इलाज किया जा सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक हर छह महीने में आंखों की जांच करवाना जरूरी है। इसलिए माता-पिता को भी अपने बच्चों की आंखों की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा बच्चों के आहार में विटामिन ए की भरपूर मात्रा होनी चाहिए।