केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस का प्रकोप बढ़ गया है। बारिश के दिनों में ये वायरस लोगों को तेजी से अपनी गिरफ्त में लेता है। राज्य के तीन जिलों में इस जानलेवा बीमारी के दो पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जिसके बाद केरल में अलर्ट है। इन दो मरीजों में एक का इलाज चल रहा है, जबकि दूसरे की मौत हो चुकी है। 2018 में केरल में 23 लोग निपाह से संक्रमित हुए थे, इनमें से 21 लोगों की मौत हो गई थी। एक बार फिर से निपाह का खौफ लोगों को परेशान कर रहा है।
केरल स्वास्थ्य विभाग ने निपाह वायरस को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि कोझिकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इन तीनों जिलों में संक्रमितों के संपर्क में आए 345 लोगों की पहचान की गई है। इन मामलों की पुष्टि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), पुणे में सैंपल जांच के बाद हुई है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर निपा वायरस बार-बार क्यों लौट आता है। मानसून में ये वायरस क्यों परेशान करता है।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस (NiV) एक गंभीर और जानलेवा जूनोटिक संक्रमण है,जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। जूनोटिक संक्रमण” से मतलब है जब कोई वायरस, बैक्टीरिया, या परजीवी पहले जानवरों में पाया जाता है और फिर किसी तरह से इंसानों को भी संक्रमित कर देता है तो ऐसे संक्रमण को “जूनोटिक संक्रमण” कहा जाता है। ये खतरनाक वायरस चमगादड़ों या सूअरों से इंसानों में फैलता है। इसकी पहली पुष्टि वर्ष 1999 में मलेशिया में हुई थी। तब से यह संक्रमण दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में फैल चुका है। यह वायरस मुख्य रूप से मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस), सांस की परेशानी और कई मामलों में मृत्यु का कारण बन सकता है।
हर साल क्यों लौट आता है निपाह वायरस?
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, आंतरिक चिकित्सा में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राकेश गुप्ता ने इस वायरस के बार-बार लौटने के लिए ग्लोबल वार्मिंग, वन्य जीवों के व्यवहार में बदलाव और लोगों के लाइफस्टाइल में बदलाव जिम्मेदार है। इन सभी कारणों की वजह से ये वायरस बार-बार हर साल लौट आता है। ये वायरस हर साल खतरा बनता है इसलिए इस पर लगातार निगरानी रखना बेहद जरूरी है।
केरल में मॉनसून में ये वायरस क्यों तेजी से फैलता है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि ये वायरस दूषित फलों से फैलता है। जब संक्रमित चमगादड़ या सुअर फलों को खा लेते हैं तो ये संक्रमण फलों में आ जाता है। ऐसे में संक्रमित फलों का सेवन करने से मनुष्य में ये बीमारी फैलने लगती है। केरल में निपाह वायरस के बार-बार फैलने का मुख्य कारण इस क्षेत्र की जलवायु और घने फलदार पेड़ हैं। इन फलों की ओर चमगादड़ आकर्षित होते हैं और इन्हें दूषित कर देते हैं, जिससे वायरस फैलने का खतरा बढ़ता है।
मानसून के दौरान फलों की अधिकता होती है, जिससे चमगादड़ रिहायशी इलाकों के करीब आ जाते हैं। इस मौसम में नमी बढ़ने से फल जल्दी सड़ते हैं, जो चमगादड़ों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा जलभराव और पर्यावरणीय बदलावों के कारण इंसान, चमगादड़ और पालतू जानवरों के बीच संपर्क और बढ़ जाता है, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
निपाह वायरस के लक्षण कौन-कौन से हैं?
अगर किसी व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, बहुत ज्यादा नींद आना, भ्रम की स्थिति या सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निपाह वायरस से बचाव कैसे करें
फल खाने से पहले अच्छी तरह धोएं। ऐसे फल न खाएं जो आधे खाए या सड़े हुए हों।
बीमार व्यक्ति के संपर्क से बचें। संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों जैसे थूक, खून से दूरी बनाए रखें।
मास्क पहनें और हाथों की सफाई रखें।
सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और अफवाहें फैलाने से बचें, क्योंकि इससे बेवजह घबराहट फैल सकती है।
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