हल्दी सिर्फ एक मसाला नहीं है, बल्कि यह औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी है। इसका सेवन केवल खाना पकाने तक सीमित नहीं है, बल्कि कई बीमारियों के इलाज और स्वास्थ्य सुधार में भी किया जाता है। हल्दी का चमकीला पीला रंग और इसकी खुशबू ही इसे भारतीय रसोई का अनिवार्य हिस्सा बनाती है। हल्दी का सेवन मुख्यत तीन रूपों में होता है, कच्ची हल्दी, सूखी हल्दी और हल्दी पाउडर।
हल्दी के हर रूप का मूल अवयव करक्यूमिन (Curcumin) है। यह पीला यौगिक सुगंधित तेल, पॉलीसैकेराइड और अन्य पौधे-आधारित रसायनों के साथ सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदान करता है। रिसर्च बताते हैं कि हल्दी के साथ में हेल्दी फैट जैसे घी, ऑलिव ऑयल और काली मिर्च का सेवन किया जाए तो शरीर में करक्यूमिन का अवशोषण काफी बढ़ जाता है। अब सवाल ये उठता है कि हल्दी का सेवन कच्चा करें, सुखाकर करें या फिर पाउडर के रूप में करें जिससे सेहत को ज्यादा फायदा हो।
कच्ची हल्दी क्या है?
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर प्रताप चौहान बताया हल्दी एक ऐसा मसाला है जिसका सेवन कच्चा किया जाए तो सेहत को ज्यादा पोषण मिलता है। कच्ची हल्दी को रॉ टर्मेरिक भी कहा जाता है। यह हल्दी पौधे की ताज़ा जड़ होती है जिसे भारतीय रसोई और परंपरागत चिकित्सा में खूब महत्व दिया गया है। सूखी या पिसी हल्दी की तुलना में इसे नेचुरल अवस्था में काटा जाता है। बाहर से यह अदरक जैसी दिखती है लेकिन अंदर से चमकीले पीले-नारंगी रंग में चमकती है।
कच्ची हल्दी के फायदे
कच्ची हल्दी अपने रंग, सुगंधित तेलों और स्वाद के लिए जानी जाती है। इसमें करक्यूमिनोइड्स के साथ आवश्यक तेल, पॉलीसैकेराइड और दूसरे प्लांट बेस्ड रसायन पाए जाते हैं। इस हल्दी का सेवन अक्सर चटनी में या दूध में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। एक PMC अध्ययन के अनुसार कच्ची हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा सूखी या पिसी हल्दी से कम होती है, क्योंकि इसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है जो करक्यूमिन का अनुपात घटा देती है। यह स्वाद और सम्पूर्ण पोषण के लिए बेहतर है, लेकिन इसमें ज्यादा करक्यूमिन नहीं होता।
सूखी हल्दी क्या है?
सूखी हल्दी ताज़ी हल्दी को उबालकर और धूप में सुखाकर बनाई जाती है। इसे मसाले, रंग और औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। फसल काटने के बाद हल्दी की गांठों को उबालकर सुखाया जाता है और फिर पीसकर पीला पाउडर बनाया जाता है। इस हल्दी का स्वाद बेहतर होता है, साथ ही इसका औषधीय यौगिक करक्यूमिन भी संरक्षित रहता है। ये हल्दी खाना पकाने के लिए और हेल्थ के लिए दुरुस्त होती है।
सूखी हल्दी के फायदे
रिसर्च के मुताबिक हल्दी को सुखाने और प्रोसेसिंग के दौरान हल्दी का करक्यूमिन प्रोफ़ाइल बदलता है। हल्दी को उबालने और स्टीम करने से करक्यूमिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,क्योंकि इसका पानी सूख जाता है। हल्दी को सुखाने की विभिन्न विधियां जैसे धूप, ओवन, नई तकनीकें करक्यूमिन की मात्रा पर असर डालती हैं। सही ढंग से सुखाई और प्रोसेस की गई हल्दी में करक्यूमिन का स्तर कच्ची हल्दी से ज्यादा हो सकता है।
हल्दी पाउडर क्या है?
हल्दी पाउडर सूखी हल्दी को पीसकर बनाया जाता है। यह भारतीय रसोई का सबसे ज़रूरी मसाला है। इसका रंग चमकीला पीला और स्वाद मिट्टी जैसा, गर्माहट भरा होता है। इसे करी, सब्जियों, दालों और चावल में रूप और रंग देने के लिए डाला जाता है।
हल्दी पाउडर के फायदे
कई रिसर्च के मुताबिक घरों में इस्तेमाल होने वाला हल्दी पाउडर बीच का विकल्प है। अगर हल्दी की जड़ में करक्यूमिन ज्यादा था और सुखाने की प्रक्रिया सही की गई, तो पाउडर में भी करक्यूमिन की मात्रा अधिक हो सकती है। लेकिन इसकी गुणवत्ता पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है कि हल्दी किस स्रोत से आई है और इसे कैसे प्रोसेस किया गया है।
अधिक लाभ कैसे पाएं?
अध्ययनों के अनुसार हल्दी को दूध या तेल और चुटकी भर काली मिर्च के साथ लेने से शरीर में करक्यूमिन ज्यादा आसानी से अवशोषित होता है। रिसर्च के मुताबिक वसा के साथ हल्दी का सेवन करने से करक्यूमिन का अवशोषण कई गुना बढ़ जाता है।
कौन-सी हल्दी ज्यादा असरदार है?
एक्सपर्ट्स के अनुसार हल्दी हर रूप में अच्छी है, लेकिन असर किस रूप में ज्यादा होगा यह आपके उद्देश्य पर निर्भर करता है। रोज़ाना खाने और सम्पूर्ण पोषण के लिए कच्ची हल्दी बेहतर है क्योंकि इसमें ताजगी, स्वाद और आवश्यक तत्व होते हैं। अगर आप करक्यूमिन की अधिक मात्रा चाहते हैं तो अच्छी तरह से प्रोसेस की गई सूखी हल्दी या पाउडर सबसे सही विकल्प है।
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