रोज़ाना एक से दो कॉफी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद हैं लेकिन इससे ज्यादा कॉफी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकती है। कॉफी एक ऐसा ड्रिंक है जो महिलाओं की सेहत को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। एक नई रिसर्च में ये बात साबित हुई है कि रोजाना अगर महिलाएं कॉफी का सेवन करें तो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS)के जोखिम को कम किया जा सकता है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पाचन से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसका असर बड़ी आंत पर पड़ता है। आंतों में बैक्टीरियां के खराब संतुलन के कारण इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की बीमारी होती है। इस बीमारी के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जिसमें तनाव प्रमुख कारण है।
एक नई रिसर्च के मुताबिक जो महिलाएं कॉफी का रोजाना सेवन करती हैं उन्हें IBS का जोखिम उन महिलाओं की तुलना में 16 फीसदी कम होता है जो कॉफी की जगह कुछ और ड्रिंक का सेवन करती हैं। रिसर्च के मुताबिक कॉफी कब्ज और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम वाले लोगों की मदद करती है और आंत को आराम देती हैं। हालांकि कॉफी का सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है जिन्हें लगातार डायरिया की शिकायत होती है।
PSRI हॉस्पिटल नई दिल्ली में सलाहकार सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मनोज गुप्ता के मुताबिक कॉफी गैस्ट्रिन के स्राव को उत्तेजित करती है। गैस्ट्रिन एक हार्मोन है जो आंतों को सिकुड़ने और आराम देने का कारण बनता है। एक अन्य हार्मोन, जिसे कोलेसीस्टोकिनिन कहा जाता है, पित्त के उत्पादन को ट्रिगर करके पाचन में मदद करता है। ये दोनों हॉर्मोन आंत को साफ रखने में मदद करते हैं।
IBS के लक्षणों की बात करें तो इस बीमारी में पेट में ऐंठन, आंत में गड़बड़ी और बार-बार मल त्यागना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस बीमारी की वजह से जो लक्षण परेशान कर सकते हैं वो भूख में कमी, वजन में कमी और उल्टी हो सकते हैं।
एक्सपर्ट के मुताबिक तनाव कम लें, अपनी नींद और लाइफस्टाइल में बदलाव करें। कुछ तनाव कम करने वाली दवाएं भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम वाले रोगियों के लिए मददगार हो सकती हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या है और रोजाना कॉफी का सेवन करने से किस तरह इस बीमारी का इलाज होता है।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या है?
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक आंत से जुड़ी बीमारी है जिसके कारण पेट में दर्द, दस्त, कब्ज और मल के स्वरूप में परिवर्तन होता है। ये बीमारी आंतों और मस्तिष्क के बीच परस्पर क्रिया में परिवर्तन के कारण होती है। हालांकि इस बीमारी का प्रमुख कारण क्या है ये अभी पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन बैक्टीरियां की अत्याधिक वृद्धि,एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग और तनाव इस बीमारी के लक्षणों को ट्रिगर करता हैं। असामान्य मस्तिष्क न्यूरोट्रांसमीटर के कारण आंत की संवेदनशीलता में बदलाव होता हैं।
मानव पाचन तंत्र में बैक्टीरिया, वायरस और फंगी होते हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से आंत माइक्रोबायोटा कहा जाता है। ये सूक्ष्मजीव पाचन और इम्युन सिस्टम के कामकाज जैसी शारीरिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब हम जीवाणु संक्रमण से निपटने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं तो गुड बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिससे सामान्य कामकाज प्रभावित होता है। पशुओं और इंसानों पर की गई रिसर्च से ये पता चला है कि इन परेशानियों की वजह से ही इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की परेशानी होती है।
कॉफी का सेवन कैसे महिलाओं को IBS से बचने में मदद करता है?
कॉफी का सेवन उन रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिन्हें आंत से जुड़ी परेशानी IBS और कब्ज होता है। कॉफी का सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है जिन्हें बार-बार कब्ज की शिकायत होती है।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं IBS से अधिक प्रभावित क्यों होती हैं?
पुरुषों की तुलना में महिलाएं IBS से अधिक प्रभावित होती है इस बात के भी कोई खास प्रमाण मौजूद नहीं हैं,लेकिन किसी तरह यह महिला हार्मोन से संबंधित है। इस बीमारी के लिए एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के असंतुलन को जिम्मेदार माना जाता है। महिलाओं में पीरियड के दौरान इस बीमारी के लक्षण बढ़ जाते हैं। पीरियड्स के दौरान,IBS से पीड़ित महिलाओं में लक्षण बदतर होते हैं।