Coronavirus: कोरोना वायरस के दोबारा बढ़ते मामलों के बीच जिसकी सबसे अधिक जरूरत मालूम पड़ रही है वो है ऑक्सीजन की कमी। सोशल मीडिया साइट्स पर तमाम शहरों के लोग प्लाजमा, बिस्तर और ऑक्सीजन पहुंचाने को लेकर मदद मांग रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर की पूर्ति के लिए यथासंभव प्रयास हो रहे हैं। कई मरीज होम क्वारंटीन में हैं और अपने ऑक्सीजन के स्तर पर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं। इस बीच, एक वायरल वीडियो के मुताबिक प्रोन पोजिशन ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में मददगार है। आइए जानते हैं वास्तविकता –
आमतौर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि 95 प्रतिशत या उससे अधिक ऑक्सीजन लेवल हेल्दी होता है। एक ट्विटर यूजर ने वीडियो शेयर कर बताया है कि बैठे हुए जहां उस व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल ऑक्सीमीटर में 95 दिखा रहा था। वहीं, प्रोन पोजिशन के एक मिनट बाद ही ये स्तर 98 के आसपास चला गया।
क्या है सच्चाई: प्रोन पोजिशन में लोगों को छाती और पेट के बल लेटना होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इस मुद्रा में फेफड़े में हर तरफ से हवा पहुंचता है। यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक जो लोग एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज सिंड्रोम से पीड़ित होते हैं, उनके शरीर में सांस का स्तर बढ़ाने के लिए इस तकनीक को सरल और सुरक्षित माना जाता है।
कोविड मरीजों के लिए कैसे है मददगार: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये खतरनाक वायरस फेफड़ों के सेल्स को डैमेज करता है और उन्हें बंद कर देता है। इससे शरीर से फेफड़े और फेफड़ों से शरीर के दूसरे अंगों तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुंच पाता है। इस कारण से लोग दूसरे उपायों से शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति करते हैं। प्रोन पोजिशन में से क्षतिग्रस्त हो चुकी कोशिकाएं दोबारा एक्टिव हो जाती हैं। साथ ही, ये फेफड़ों की इलास्टिसिटी को बेहतर करती है।
प्रोन पोजिशन में कैसे आएं: कई अध्ययनों में ये साबित हो चुका है कि प्रोनिंग करने से ऑक्सीजन सैच्युरेशन को 5 मिनट के भीतर बेहतर किया जा सकता है। इसके तहत कई घंटों तक मरीजों को पेट के बल लिटाया जाता है। उनका चेहरा नीचे रखा जाता है और इससे फेफड़ा अधिक सक्रिय रूप से कार्य करता है।
For those who are having oxygen saturation level around 90
Pronal or Ventilator breathing. See the amazing results. Hats off to the person who made this video pic.twitter.com/mNcnkFepLm
— Ankit Chaudhary (@entrepreneur987) April 19, 2021
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इसे करने के दौरान मरीजों को गर्दन के नीचे एक तकिया, दो तकियों को पेट और घुटनों के नीचे और एक को पंजों के नीचे रखना चाहिए। प्रत्येक 6 से 8 घंटों में करीब 40 मिनट तक इस अभ्यास को करना प्रभावी साबित हो सकता है।