इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसके लिए तनाव, खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल पूरी तरह जिम्मेदार है। ये एक ऐसी बीमारी है जो बड़ी आंत को प्रभावित करती है। ये बीमारी लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी है जिसकी देखभाल लम्बे समय तक करनी पड़ती है। इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो पेट में दर्द होना,मरोड़ होना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होना इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के मुख्य लक्षण है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (gastrointestinal cancer) का खतरा नहीं होता है लेकिन यह बीमारी दैनिक दिनचर्या को अधिक प्रभावित करती है।

हालांकि ये बीमारी इतनी घातक नहीं कि इसका इलाज नहीं किया जाए। बीमारी का इलाज रोगी में मौजूद लक्षणों पर निर्भर करते हैं। किसी में इस बीमारी के लक्षण कम और किसी में ज्यादा हो सकते हैं। पुरुषों की तुलना में ये बीमारी महिलाओं को ज्यादा होती है।

तनाव की वजह से पनपने वाला इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) कम से कम 10–15 प्रतिशत वयस्कों को प्रभावित करता है। आइए जानते है कि इस बीमारी के लिए कौन-कौन से कारण जिम्मेदार है और बॉडी में इसके कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्यों होता है?

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम तनाव होने पर और हार्मोन्स में बदलाव होने पर ज्यादा परेशान करता है। जब हम तनाव में होते हैं तो एड्रिनल ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है। तनाव की वजह से पाचन तंत्र बिगड़ने लगता है। पाचन में जलन और सूजन की परेशानी होने लगती है जिसकी वजह से पोषक तत्व बॉडी को फायदा पहुंचाना कम कर देते है और मरीज का वजन कम होने लगता है। इस बीमारी के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे कमजोर इम्युनिटी,संवेदनशील कोलन और बैक्टीरियल इंफेक्शन।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों की पहचान कैसे करें:

lybrate.com पर लिखे डॉक्टर राधिका के लेख के मुताबिक इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों की बात करें तो पेट में दर्द होना, पेट का फूला हुआ महसूस होना,खट्टी डकारें,गैस,कब्ज़, स्टूल पास करने में बदलाव होना,हॉर्मोनल बदलाव,मिजाज़ में चिड़चिड़ापन होना,बुखार रहना,भूख में कमी आना,वजन कम होना और हाथ पैरों में सूजन आना शामिल है।

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य श्री बालकृष्ण से जानते हैं कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचाव कैसे करें

  • इससे बचाव करने के लिए मरीज को लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करने की जरूरत है।
  • खाने के बाद दही और छाछ का सेवन करेंगे तो गुड बैक्टीरिया जल्दी बढ़ेंगे और राहत भी जल्दी मिलेगी।
  • खाने में मिर्च का सेवन करने से परहेज करें। मसालों में आप जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनियां, दालचीनी, सौंफ, मेथी, जावित्री, लोंग, जायफल, अजवायन का सेवन कर सकते हैं।
  • दिन में तीन बार खाएं। बार-बार खाने से बचें। खाने के बीच में 3-4 घंटे का गैप जरूर रखें।
  • भूख लगने पर पानी और नींबू पानी का सेवन करें। नींबू पानी पेट के तंत्र को मजबूत करेगा और आराम भी देगा।
  • अदरक, तुलसी, कालीमिर्च और लौंग का काढ़ा पीने से पेट की गैस, तनाव में फायदा मिलेगा।