जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, टांगों में दर्द और कमजोरी की समस्या आम हो जाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं। बढ़ती उम्र में मांसपेशियों की टूट-फूट यानी सार्कोपेनिया तेज हो जाता है, जिससे पैरों की ताकत और सहनशक्ति कम होने लगती है। हड्डियों में कैल्शियम और कुछ विटामिन की कमी से घुटनों और जोड़ों पर दबाव बढ़ता है, जिससे चलने-फिरने में दर्द महसूस होता है। 40 साल की उम्र के बाद नसों की कमजोरी और विटामिन B12 की कमी से पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन और संतुलन बिगड़ने लगता है। उम्र के साथ खून का संचार धीमा होने से भी पैरों में भारीपन और थकान महसूस होती है। लंबे समय तक खड़े रहना, मोटापा, डायबिटीज और गठिया जैसी बीमारियां इस परेशानी को और बढ़ा सकती हैं। अगर समय रहते सही पोषण, नियमित व्यायाम और जरूरी विटामिन नहीं लिए गए तो यह समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए 40 की उम्र के बाद पैरों के स्वास्थ्य पर खास ध्यान देना जरूरी है।
एक्सपर्ट की माने तो पैरों में दर्द उम्र ही नहीं बल्कि पोषण की कमी होने से होता है। क्या आपने महसूस किया है कि सीढ़ियां चढ़ते समय घुटनों पर ज़्यादा जोर पड़ने लगा है, बैठने के बाद उठने में देर होती है या पैरों में भारीपन और सुन्नता महसूस होती है? यह केवल बढ़ती उम्र का असर नहीं, बल्कि सार्कोपेनिया है। यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की चुपचाप होने वाली टूट-फूट है।
60 वर्ष के बाद शरीर हर साल 1% से 3% तक मांसपेशियां लॉस कर देता है। इसका असर टांगों की कमजोरी, धीमी चाल और गिरने के डर के रूप में सामने आता है। अगर आप बढ़ती उम्र में टांगों में ताकत बढ़ाना चाहते हैं तो आप अपनी डाइट में तीन जरूरी विटामिन को शामिल करें। तीन ऐसे विटामिन हैं जो हड्डियों को मजबूत करते हैं और पैरों को ताकत देते हैं।
विटामिन D3 मांसपेशियों का मास्टर स्विच है
Harvard Health की एक रिपोर्ट कहती है कि विटामिन D की कमी मांसपेशियों की ताकत को कम करती है, खासकर उम्र बढ़ने के बाद। उम्र बढ़ने पर शरीर में विटामिन D3 का उत्पादन कम हो जाता है। इसकी कमी से पैरों में भारीपन, थकान और संतुलन की समस्या होती है। विटामिन D3 हड्डियों तक कैल्शियम पहुंचाता है, मांसपेशियों की सिकुड़न को ठीक करता है और नसों से मस्तिष्क तक संदेश पहुंचाने की क्षमता बढ़ाता है। इसकी नियमित खुराक 800 से 2000 IU है। हर सुबह भोजन के बाद 800 से 2000 IU विटामिन डी का सेवन करें।
विटामिन B12 नसों में बढ़ाता है ताकत
Foundation for Peripheral Neuropathy लेख में बताया गया है कि विटामिन B12 की कमी से नसों को नुकसान हो सकता है, जिससे पैरों में झनझनाहट, सुन्नता और कमजोरी महसूस होती है, क्योंकि नसें मस्तिष्क से पैरों तक संदेश भेजती हैं। 60 वर्ष के बाद पेट में अम्ल कम बनने के कारण विटामिन B12 का अवशोषण घट जाता है। इसकी कमी से पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन, असंतुलन और याददाश्त कमजोर होती है। B12 नसों की सुरक्षात्मक परत बनाता है और मस्तिष्क से पैरों तक तेज संदेश भेजता है। इसकी 500 से 1000 mcg खुराक दिन में भोजन के बाद लेनी चाहिए टांगे मजबूत होंगी।
विटामिन B1 है ऊर्जा का इंजन
विटामिन B1 यानी थायमिन मांसपेशियों को ऊर्जा देने वाला विटामिन है। इसकी कमी से टांगों में थकान, जकड़न और सुस्ती बढ़ जाती है। B1 कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलता है और नसों के संकेतों को मजबूत करता है। सुबह नाश्ते के साथ 50 से 100 mg लेने पर पूरे दिन स्टैमिना और फुर्ती बनी रहती है। सही मात्रा और समय पर इन तीनों विटामिन लेने से कुछ ही दिनों में फर्क दिखने लगता है। थकान और भारीपन कम होता है, सीढ़ियां चढ़ना आसान लगता है और संतुलन में सुधार आता है। कुछ हफ्तों में मांसपेशियां और नसें मजबूत होने लगती हैं।
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