भारत डायबिटीज का हब बनता जा रहा है जहां डायबिटीज और प्री-डायबिटीज मरीजों की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके लिए खराब डाइट, तनाव, बिगड़ता लाइफस्टाइल और जेनेटिक कारण जिम्मेदार हैं। डायबिटीज के जोखिम को टालने के लिए अक्सर डॉक्टर सलाह देते हैं कि आप हेल्दी डाइट लें, बॉडी को एक्टिव रखें और तनाव से दूर रहें। आप जानते हैं कि नींद की कमी भी आपको डायबिटीज का शिकार बना सकती है।
डायबिटीज स्पेशलिस्ट सेंटर, चेन्नई में चेयरमेन डॉक्टर वी. मोहन के मुताबिक डायबिटीज और नींद का गहरा संबंध है। एक्सपर्ट के मुताबिक क्रॉनिक बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी है कि हम रोजाना 6-8 घंटे की नींद जरूर लें। चाहे आप कितना ही बॉडी को एक्टिव रखते हैं और हेल्दी डाइट का सेवन करते हैं लेकिन 6 घंटे से कम सोते हैं तो आपके भविष्य में डायबिटीज का शिकार होने के आसार ज्यादा है।
डायबिटीज और नींद का रिलेशन साबित करने के लिए हाल ही में एक रिसर्च की गई जिसमें यूके बायो बैंक के 2,47,867 वयस्कों की हेल्थ का दस सालों तक विश्लेषण किया गया। रिसर्च में पाया गया जिन लोगों ने छह घंटे से कम समय की नींद ली थी उन लोगों में नॉर्मल नींद लेने वाले लोगों की तुलना में डायबिटीज होने का खतरा बढ़ गया था। रिसर्च के मुताबिक 5 घंटे सोने वालों को टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा 16 प्रतिशत अधिक था, जबकि तीन से चार घंटे सोने वालों को डायबिटीज होने का खतरा आठ घंटे सोने वालों की तुलना में 41 प्रतिशत अधिक था। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कम नींद और डायबिटीज का एक-दूसरे से कैसे कनेक्शन है।
नींद और डायबिटीज के बीच का संबंध
जब हम कम सोते हैं तो हमारे शरीर में काउंटर-रेगुलेटरी हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर को लगता है कि वह आराम नहीं कर रहा है और तनाव में है, इसलिए वो स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करता है। ये हार्मोन इंसुलिन की क्रिया में बाधा डालता हैं। खाना खाने के बाद भी शरीर कम इंसुलिन रिलीज करता है और ब्लड शुगर को उस तरह से यूटीलाइज नहीं कर पाता जिस तरह से किया जाना चाहिए। इसलिए जिस ग्लूकोज का यूटीलाइज नहीं होता वो ब्लड स्ट्रीम में रहता है, जिससे डायबिटीज की बीमारी का जोखिम होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में दिल के रोगों का खतरा भी अधिक रहता है।
नींद की कमी आपके हंगर हार्मोन घ्रेलिन को उत्तेजित करती है जबकि तृप्ति हार्मोन (satiety hormone) लेप्टिन को कम करता है। इसीलिए जो लोग देर से सोते हैं उन्हें आधी रात को भूख लगती है और वो मिड नाइट को नाश्ता करते हैं, जिससे उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और उन्हें मोटापे का खतरा अधिक होता है, जो डायबिटीज का एक और जोखिम कारक है। खराब स्लीपिंग पैटर्न डायबिटीज मरीजों पर दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकती है। उनमें संज्ञानात्मक गिरावट की दर तेज़ हो सकती है।
रात में बिस्तर पर जाने का सही समय क्या है?
बीमारी से बचाव के लिए नींद का समय भी मायने रखता है। रात में सोने का आइडियल टाइम 10 बजे हैं। जो लोग देर रात यानी 1 बजे से 3 बजे के बीच सोते हैं उनमें डायबिटीज, हाई बीपी, हृदय रोग और मौत का खतरा अधिक रहता है।