Diabetes and Obesity Connection: डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिनके मरीजों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हो रहा है। पिछले साल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत डायबिटीज कैपिटल बन गया है। डायबिटीज की बीमारी के लिए खराब डाइट, बिगड़ता लाइफस्टाइल, तनाव और फैमिली हिस्ट्री जिम्मेदार है। डायबिटीज की बीमारी नॉलेज और डिसिप्लिन की कमी की परेशानी है। ये एक क्रोनिक बीमारी है जिसे लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये बॉडी के अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है।

 डायबिटीज दो तरह की होती है टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज, दोनों तरह की डायबिटीज को कंट्रोल करना जरूरी है। टाइप-1 डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देता है जबकि टाइप-2 डायबिटीज में पैंक्रियाज में इंसुलिन का उत्पादन कम होता है। बॉडी में इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए मरीज दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं और इंसुलिन का इंजेक्शन लेते है।

डायबिटीज की बीमारी के लिए मोटापा को रिस्क फैक्टर माना जाता है,लेकिन आप जानते हैं कि डायबिटीज की वजह से वजन तेजी से घटने भी लगता है। डायबिटीज कोच और फिटनेस न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर अनुपम घोष के मुताबिक डायबिटीज की बीमारी में मरीजों का दिन-ब-दिन वजन घटने लगता है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर बॉडी में इंसुलिन हार्मोन नहीं होगा तो वजन कम होगा और अगर इंसुलिन होगा तो वजन बढ़ेगा।

टाइप-1 डायबिटीज में मरीज का वजन तेजी से घटने लगता है। कुछ टाइप-2 डायबिटीज मरीजों का वजन तेजी से कम होने लगाता है जिसके लिए उनकी डाइट, वर्कआउट जिम्मेदार है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि डायबिटीज मरीजों का वजन क्यों कम होने लगता है और कमजोरी बढ़ने लगती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि वजन को कैसे मैनेज करें, कमजोरी को दूर करें और ब्लड शुगर को भी नॉर्मल रखें।

डायबिटीज में वजन क्यों कम होने लगता है?

डायबिटीज की बीमारी में पैंक्रियाज इंसुलिन हार्मोन को बनाना बंद कर देता है, अगर इंसुलिन हार्मोन बनता भी है तो सेल्स इंसुलिन को पहचान नहीं पाते हैं जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस के नाम से जाना जाता है। डायबिटीज मरीजों का वजन कम होने के लिए उनकी डाइट भी जिम्मेदार है जिसकी वजह से उन्हें कमजोरी और थकान रहती है। डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर बढ़ने के डर से ज्यादातर फूड्स का सेवन करना बंद कर देते हैं, खासकर गुड फैट तक का सेवन करना बंद कर देते हैं, जिसकी वजह से बॉडी में कमजोरी बेहद बढ़ने लगती है और वजन कम होने लगता है। डायबिटीज मरीजों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट का सेवन अधिक होने से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है। डायबिटीज और मोटापा का एक ही मूल है वो है इंसुलिन रेजिस्टेंस।

ड्राई फ्रूट का सेवन करें शुगर कंट्रोल रहेगी और वजन भी रहेगा मैनेज

जिन लोगों की ब्लड शुगर हाई है और उनका वजन कम हो गया है तो वो डाइट में कुछ खास ड्राई फ्रूट का रोज़ाना सेवन करें। कुछ ड्राई फ्रूट जैसे अखरोट,बादाम,पिस्ता और काजू का सेवन करें। अगर आपका वजन कम हो रहा है तो आप एक मुट्ठी भर काजू को रोजाना खा सकते हैं। इन ड्राई फ्रूट से बॉडी को विटामिन, कैल्शियम और हेल्दी फैट मिलता हैं। ड्राई फ्रूट का सेवन करने से बॉडी में होने वाली कमजोरी और थकान दूर होती है और वजन भी मेंटेन रहता है।

अलसी के बीज का करें सेवन

हेल्थ लाइन के मुताबिक डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर को नॉर्मल रखने के लिए और बॉडी में होने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए आप रोजाना अलसी के बीज का सेवन करें। फाइबर और अल्फा लिनोलेनिक एसिड ब्लड शुगर को नॉर्मल रखता है और बॉडी को जरूरी पोषक तत्व भी देता है। इन सीड्स का नियमित सेवन करने से बॉडी को एनर्जी मिलती है और वजन भी मेंटेन रहता है।

दही का करें सेवन

डायबिटीज मरीजों का अगर वजन तेजी से कम हो रहा है तो वो डाइट में दही का सेवन करें। दही का सेवन डायबिटीज को कंट्रोल करता है। दही में कम फैट और कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करता है। दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।

अंडे का करें सेवन

डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर को नॉर्मल रखने के लिए अंडे का सेवन करें। एक अंडे में लगभग 0.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखता है। अंडे खाने से बायोटिन बढ़ता है जो इंसुलिन का उत्पादन करता है। डायबिटीज मरीज रोजाना एक से दो अंडे का सेवन करें तो शुगर नॉर्मल रहेगी,बॉडी को पर्याप्त पोषक तत्व मिलेंगे और कमजोरी दूर होगी।