सेहत को फिट एंड फाइन रखने के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है। शरीर स्वस्थ और दिमाग एक्टिव रहे, इसके लिए एक्सपर्ट्स कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं। हालांकि, परेशानी तब होती है जब रात में चैन से सोने के बाद भी आप दिनभर सुस्त महसूस करें। अगर आप भी इस तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो बता दें कि आप हाइपरसोम्निया (Hypersomnia) से पीड़ित हो सकते हैं।

क्या होता है हाइपरसोम्निया?

हाइपरसोम्निया नींद से जुड़ी ऐसी समस्या है जिसमें अच्छी तरह सोने के बाद भी व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है। ऐसे में वह हर समय खुद को थका हुआ महसूस करता है, साथ ही काम या किसी भी चीज पर ठीक तरह से फोकस नहीं कर पाता है। कई बार तो ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि लाख कोशिश करने के बाद भी हाइपरसोम्निया से पीड़ित शख्स अपनी आंखें नहीं खोल पाता है। ऐसे में हाइपरसोम्निया के कारण और इसका कैसे निदान किया जाए, ये समझना बेहद जरूरी हो जाता है।

क्या हैं हाइपरसोम्निया के कारण?

हाइपरसोम्निया के कई कारण हो सकते हैं जैसे

  • नशीली दवाओं या शराब का अधिक सेवन, इसकी एक अहम वजह हो सकती है।
  • शरीर में पानी की कमी के चलते भी हर वक्त नींद आती रहती है।
  • हार्मोनल बदलाव के चलते भी ऐसा हो सकता है।
  • सिर पर लगी किसी तरह की चोट या न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी बार-बार नींद आने की वजह बन सकती है।
  • किसी तरह का तनाव लेने से जहां कई लोगों की नींद उड़ जाती है, तो वहीं कुछ पर इसका उल्टा असर भी देखने को मिलता है। तनाव बढ़ने पर इंसान को नींद ज्यादा आने लगती है।
  • इसके अलावा वजन ज्यादा होने के चलते भी ऐसा हो सकता है।

क्या हैं हाइपरसोम्निया के लक्षण?

  • नींद से जागने के बाद बिना वजह चिड़चड़ापन महसूस करना।
  • लाख कोशिशों के बाद भी किसी सरल सी चीज पर भी ध्यान नहीं दे पाना।
  • भूख न लगना।
  • चीजें याद नहीं रखना।
  • रोशनी की ओर देखने से बार-बार उबासी आना या आंखों पर तनाव महसूस करना।
  • हर वक्त खुद को थका हुआ और सुस्त महसूस करना शामिल है।

कैसे पाएं छुटकारा?

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, कुछ अच्छी और सरल आदतों को अपनाकर हाइपरसोम्निया के असर को कम या जड़ से खत्म भी किया जा सकता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • हाइपरसोम्निया का एक कारण मोटापा है, ऐसे में एक्सरसाइज करें। इससे आपको नींद की समस्या से तो आराम मिलेगा ही, साथ ही आपका वजन भी कंट्रोल में रहेगा।
  • यदि संभव हो तो बेवजह दवाओं के सेवन से बचें, इससे अलग आप आयुर्वेदिक दवाओं का सहारा लें सकते हैं। ये दवाएं नेचुरल तरीके से समस्या को दूर करने का काम करती हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
  • शराब या किसी भी तरह के नशीले पदार्थ से दूरी बनाएं।
  • अपने आसपास शांतिपूर्ण वातावरण बनाएं, साथ ही किसी बात का अधिक तनाव लेने से बचें।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।