किडनी हमारी बॉडी का अहम अंग है जो बॉडी से टॉक्सिन को बाहर निकालती है और बॉडी को हेल्दी रखती है। किडनी की परेशानी सिर्फ युवाओं और बुजुर्गों को ही अपनी गिरफ्त में नहीं लेती है बल्कि बच्चों भी इस बीमारी की चपेट में आते हैं। बच्चों में भी न्यू बॉर्न बेबी किडनी से जुड़ी बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। किडनी की बीमारी बच्चों को कई तरह से प्रभावित करती है। कई बार बच्चा मां के पेट से ही किडनी से जुड़ी बीमारी जैसे किडनी में सूजन के साथ ही पैदा लेता है।

किडनी में सूजन आना यह एक आम किडनी की बीमारी है जिसे नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम कहा जाता है। किडनी में सूजन हाइड्रोनेफ्रोसिस (Hydro nephrosis) के कारण होती है। मासूम बच्चे में इस बीमारी के लक्षण दिखने पर कई सवाल दिमाग को कुरेदने लगते हैं जैसे क्या बच्चे की सर्जरी होगी, क्या बच्चे को डायलेसिस करना पड़ेगा, बच्चा नॉर्मल लाइफ बीता सकेगा या नहीं ऐसे सवाल ज़हन को परेशान करने लगते हैं। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर कुणाल पाई के मुताबिक हाइड्रोनेफ्रोसिस शिशुओं में होने वाली एक ऐसी बीमारी है जो प्रेग्नेंसी में 1से 2 फीसदी बच्चे में देखा जाती है।

बच्चे में इस सूजन आने का कारण पेशाब का रास्ता छोटा होना या सूजन आना है। ज्यादातर मामलों में ये सूजन किडनी की एक ही साइट में देखी जाती है लेकिन ये दोनों किडनी में भी हो सकती है। यूरिनरी ट्रैक्ट ब्लॉकेज की परेशानी तब होती है जब हमारी किडनी यूरेटर से मिलती है। आप भी अपने बेबी को हमेशा हेल्दी और फिट रखना चाहते हैं तो इस बीमारी के बारे में पता होना जरूरी है। आइए जानते हैं कि बच्चों में होने वाली इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से है और उसका इलाज क्या है।

हाइड्रोनेफ्रोसिस के लक्षण कौन-कौन से हैं?

  • अचानक दर्द होना जो बगल में,पीठ में, पेट और कमर में हो सकते हैं। यह दर्द पेशाब के दौरान भी हो सकता है
  • पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाना
  • पेशाब में खून
  • मतली और उल्टी
  • बच्चों को पेशाब के दौरान गंभीर दर्द और पेशाब करने से जुड़ी समस्याएं होना,
  • बुखार और कमजोरी होना इस बीमारी के लक्षण हैं।
  • बच्चों को पेशाब के दौरान गंभीर दर्द और पेशाब करने से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

हाइड्रोनेफ्रोसिस का इलाज (Hydro nephrosis Treatment in Hindi)

हाइड्रोनेफ्रोसिस की परेशानी होने पर डॉक्टर पहले बच्चे की जांच करते हैं। शिशुओं में जन्म से पहले इस समस्या के लिए अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा डिलीवरी के बाद बच्चे की टेस्टिंग रीनल अल्ट्रासाउंड, रीनल स्कैन और वॉइडिंग सिस्टॉरेथ्रोग्राम (वीसीयूजी) जैसी जांच की जाती है।

बीमारी को समझने के बाद ही डॉक्टर बच्चे का इलाज शुरु करते हैं। हाइड्रोनेफ्रोसिस का इलाज बच्चे की स्थिति के मुताबिक अलग-अलग होता है। अगर समय पर बच्चे में होने वाली इस बीमारी का इलाज नहीं किया जाए तो बच्चे की किडनी तक खराब हो सकती है। पैरेंट्स बच्चे की किडनी में होने वाली इस परेशानी के लक्षणों की पहचान समय पर करें ताकि जल्द ही इलाज संभव हो।