सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक रूमेटाइटिस अर्थराइटिस बहुत ही दर्द देने वाली बीमारी है। यह ऑटोइम्यून डिजीज और इंफ्लामेटरी डिजीज है। यानी अपना ही इम्यून सिस्टम गलती से अपनी ही हेल्दी स्वस्थ्य कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। इससे जोड़ों के बीच में बने कार्टिलेज के पास बहुत अधिक सूजन हो जाती है। इससे वहां बेपनाह दर्द होने लगता है। रूमेटाइटिस अर्थराइटिस का असर हाथ, पैर, कलाई और दोनों घुटनों के ज्वाइंट्स पर सबसे ज्यादा होता है। गंभीर मामलों में यह आंख, हार्ट, लंग्स और सर्कुलेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है। सूजन होने के कारण ज्वाइंट के टिशू डैमेज होने लगते हैं। इससे बीमारी क्रोनिक होने लगती है और हड्डियों में विकृति आने लगती है।

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस के लक्षण:

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस में जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है। इसके अलावा जोड़ों में अकड़न, सूजन होने लगती है। कभी एक तरफ दर्द होता है तो कभी दूसरी तरफ दर्द होता है। इस बीमारी में वजन भी घटने लगता है और बुखार भी हो सकता है। शुरुआत में बहुत अधिक थकान, बदहवासी और कमजोरी रहती है।

दर्द से बचने के लिए क्या करें:

नियमित इलाज कराएं:

मेदांता अस्पताल गुरुग्राम में क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रूमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के वाइस चेयरमैन डॉ. राजीव गुप्ता कहते हैं कि रूमेटोएड अर्थराइटिस क्रोनिक बीमारी है। इसे लाइफस्टाइल में परिवर्तन करके ही ठीक किया जा सकता है। इसके लिए नियमित रूप से इलाज जरूरी है। डॉक्टर ने जो दवाई लिखी है उसे लेना जरूरी है।

एक्सरसाइज भी है जरूरी:

अर्थराइटिस में नसों में स्टिफनेस आ जाती है जिसे कम करने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है। अगर एक्सरसाइज नहीं करेंगे तो स्टीफनेस दवा से बहुत ज्यादा कम नहीं होगी। इसलिए मरीज को हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। फिजिकल एक्सरसाइज में स्ट्रैचिंग, कम मेहनत वाले एयरोविक, स्ट्रैंथिंग, पिलेट्स, ताई ची, योगा आदि नसों की स्टिफनेस को कम करेंगे।इससे दर्द नहीं झेलना होगा।

डाइट में बदलाव बेहद जरूरी है:

रूमेटाइटिस अर्थराइटिस में दर्द न हो, इसके लिए संतुलित डाइट बहुत जरूरी है। डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जो एंटी-इंफ्लामेटिक हो। इसके लिए आप ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, सैलमन मछली, टूना मछली आदि का सेवन कर सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इंफ्लामेशन को कम करते हैं।

हेल्दी वेट:

अर्थराइटिस के मरीजों को अपने वजन को कंट्रोल करना जरूरी है।अगर वजन बढ़ेगा तो परेशानी और बढ़ जाएगी, इसलिए हमेशा वेट को मैंटेन रखें। अगर वजन ज्यादा है तो तुरंत इसे घटाने के लिए एक्सरसाइज और डाइट पर ध्यान दें।

स्ट्रैस से दूर रहें:

तनाव और चिंता अर्थराइटिस में दर्द को और अधिक बढ़ा देगी। तनाव से दूर रहें और हर हाल में खुश रहें। अगर तनाव ज्यादा रहता है तो योगा, मेडिटेशन का सहारा लें। इससे स्ट्रैस कम होगा।

पर्याप्त आराम भी है जरूरी:

अर्थराइटिस के मरीज अक्सर थकान और मसल्स वीकनेस से जूझते रहते है। इसका कारण है वे पर्याप्त आराम नहीं करते। दर्द से बचना है तो पर्याप्त आराम करें।