गले का कैंसर एक ऐसा डरावना सच है कि कब किसको यह हो जाए, कहा नहीं जा सकता है। हालांकि बेतहाशा धूम्रपान करने वाले तो जोखिम में होते ही है, वहीं लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से भी लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है।
तेजी से बढ़ रहा गले का कैंसर
वायु प्रदूषण ने जहां हृदय, फेफड़े और आंखों पर असर डाला है, वहीं गले के साथ सांस नली और भोजन नलिका भी प्रभावित हुई हैं। हालांकि कई विशेषज्ञ मुख स्वास्थ्य की अनदेखी को भी गले में कैंसर की वजह बताते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत में गले के कैंसर के मामले बढ़े हैं। इस समय बुजुर्गों से लेकर युवा तक इसकी चपेट में हैं।
कैंसर से अधिकतर लोग अनजान
चिंता की बात है कि ज्यादातर लोग इस तरह के कैंसर से अनजान हैं। जबकि कहा जा रहा है कि अगले पंद्रह वर्षों में कैंसर के इक्कीस लाख नए मामले सामने आ सकते हैं। युवाओं में बढ़ रहे इस तरह के कैंसर को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
गले का कैंसर क्यों बढ़ रहा है?
युवाओं में गले का कैंसर बढ़ रहा है, तो इसके लिए वे स्वयं भी जिम्मेदार हैं। वक्त-बेवक्त भोजन और जंक फूड का इस्तेमाल कर उन्होंने अपनी समस्या बढ़ा ली है। एक तो अपनी जीवनशैली ऐसी बना ली है कि उनमें कई स्तरों पर तनाव बढ़ा है। वहीं उन्होंने तंबाकू-गुटका चबाने से लेकर शराब पीने और धूम्रपान की लत पाल ली है।
तंबाकू से होता है कैंसर
गौरतलब है कि 80 फीसद मुंह के कैंसर तंबाकू खाने की वजह से ही होते हैं। गले के कैंसर की भी यही वजह है। हालांकि अधिक प्रदूषण और रसायनों के संपर्क में आने से भी यह रोग लोगों को होने लगा है। मुख स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और अधिक तला-भुना भोजन भी कैंसर का कारक है। इस ओर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता है।
कैसे पहचानें?
सिर और गर्दन के कैंसर के विशेषज्ञ डॉ. अमित चक्रवर्ती के मुताबिक, कैंसर एक जटिल और गंभीर रोग है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में हुए कैंसर के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। गले में कैंसर हुआ है या नहीं, इसे पहचानना बहुत मुश्किल नहीं है। सामान्य रूप से इसके कुछ लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
गले में कोई गांठ बनना या अचानक सूजन होना लक्षण है। गला बैठने या आवाज में बदलाव को गंभीरता से लेना चाहिए। जीभ पर लगी चोट अगर लंबे समय से ठीक न हो रही हो, तो चिकित्सक से तत्काल परामर्श करना चाहिए। अगर कान में एक तरफ दर्द हो रहा हो, तो इसकी जानकारी भी चिकित्सक को दें।
कैसे करें बचाव?
इस रोग की जड़ खराब जीवनशैली है। अगर गले के कैंसर से बचना है, तो सबसे पहले अपनी आदतें बदलनी होंगी। कई गलत आदतें भी छोड़नी होगी। यह लगभग साफ है कि कैंसर के असर को शराब और तंबाकू-सिगरेट को बंद कर रोका नहीं जा सकता। मगर यह तय है कि कैंसर के फैलाव को रोका जा सकता है।
प्रदूषित वातावरण से रहें दूर
- गले और सिर के कैंसर से बचने के लिए सबसे पहले तो प्रदूषित वातावरण से दूर रहें।
- शराब-सिगरेट की लत कभी न बनाएं।
- मुख स्वास्थ्य का हमेशा ध्यान रखें।
- घर का बना भोजन करें।
- बाहर के खाने और जंक फूड से परहेज करें।
- देर रात कभी न खाएं।
- जीवनशैली ऐसी अपनाएं कि तनाव न हों।
- धुएं और रसायनों से दूर रहें।
- बचाव के इन सारे रास्तों के अलावा नियमित व्यायाम भी करना चाहिए। कुल मिला कर स्वस्थ जीवन शैली हमें बीमारियों से बचाती है। कैंसर भी उनमें से एक है।
आहार से उपचार
कैंसर का उपचार सिर्फ कीमोथेरेपी और दवाइयां नहीं हैं। उचित आहार भी उपचार के मार्ग में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। इलाज के दौरान प्रोटीनयुक्त आहार को बेहतर माना गया है। आम तौर पर कैंसर मरीज को चिकित्सक भोजन तालिका बना कर देते हैं, जिसमें वे हरी सब्जियों और कुछ फलों को विशेष रूप से शामिल करते हैं।
मरीजों को भरपूर मात्रा में इन्हें लेने की सलाह दी जाती है। इस रोग के दौरान मरीज को पर्याप्त पानी पीने के लिए भी कहा जाता है। मरीज को पैकेटबंद आहार से बचना चाहिए। तले पदार्थ सूजन बढ़ाते हैं। चीनी का इस्तेमाल बंद कर देना ही बेहतर माना गया है।
