डायबिटीज का इलाज कर रहे हैं तो शुगर को लगातार चेक करना जरूरी है। फॉस्टिंग शुगर और खाने के बाद की शुगर को मॉनिटर करना जरूरी है ताकि आप शुगर की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर अपना लाइफस्टाइल और खान-पान सेट कर सकें। दो तरह का शुगर टेस्ट किया जाता है एक फॉस्टिंग शुगर तो दूसरा खाने के बाद की शुगर।
फॉस्टिंग ब्लड शुगर सुबह खाली पेट की जाने वाली टेस्टिंग है। ब्लड शुगर टेस्ट करने का खास मकसद प्रीडायबिटीज, टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड शुगर के स्तर का पता लगाना है।
अक्सर लोगों का फॉस्टिंग ब्लड शुगर हाई रहता है अगर सुबह खाली पेट ब्लड शुगर का टेस्ट किया जाए उसकी स्थिति का पता लगाकर दवाई और खान-पान से पूरे दिन की शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। फॉस्टिंग ब्लड शुगर से मतलब रात के 8-10 घंटे के उपवास के बाद किया जाने वाला टेस्ट है। इस टेस्ट के साथ यूरिन शुगर टेस्ट, डायबिटीज के लिए एचबीए1सी टेस्ट किया जा सकता है।
अक्सर लोग सुबह 12-14 घंटे के उपवास के बाद फॉस्टिंग शुगर चेक करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनकी शुगर का टेस्ट स्टीक आएगा तो वो गलत है। आप जानते हैं कि फॉस्टिंग शुगर तभी स्टीक आती है जब आप रात की डाइट पर ध्यान दें और सुबह कुछ खास बातों का ध्यान रखें।
इंडोक्राइन और डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर बीना बंसल ने बताया कि शुगर का स्टीक रिजल्ट पाने के लिए आप को रात में कुछ खाने से परहेज करना होगा और सुबह भी कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जिन लोगों को डायबिटीज है वो ब्लड शुगर को लेब में टेस्ट करा सकते हैं या फिर घर में ही ग्लूकोमीटर के जरिए तुरंत घर में ही टेस्ट कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि फॉस्टिंग शुगर को टेस्ट कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें।
- अगर फॉस्टिंग शुगर टेस्ट कर रहे हैं तो आप सुबह खाली पेट पानी तक नहीं पिएं। फॉस्टिंग शुगर से मतलब है कि 8-10 घंटे के उपवास के बाद ब्लड की स्थिति का पता लगाना। फॉस्टिंग शुगर चेक करा रहे हैं तो याद रखे कि सुबह जागने के एक से डेढ़ घंटे के अंदर ही ब्लड शुगर टेस्ट कराएं। दिन के 12 बजे फॉस्टिंग शुगर टेस्ट करेंगे तो कभी स्टीक रिजल्ट नहीं आएगा।
2. फॉस्टिंग शुगर टेस्ट करा रहे हैं तो याद रखें कि रात में दूध नहीं पिएं। दूध में पेप्टिन नामक तत्व होता है जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। अगर आप रात में दूध पिएंगे तो आपका सुबह स्टीक शुगर लेवल नहीं आएगा।
3. फॉस्टिंग शुगर टेस्ट कर रहे हैं तो वॉक नहीं करें। डायबिटीज के मरीजों के लिए वॉक और एक्सरसाइज करना बेहद फायदेमंद है, इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद मिलती है, साथ ही ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। अगर आप वॉक करके फॉस्टिंग शुगर टेस्ट करेंगे तो आपको ब्लड शुगर की स्टीक स्थिति का पता नहीं लगेगा।
देखिए Blood Sugar Chart
नॉर्मल इंसान की खाली पेट की शुगर 100 mg/dl से नीचे होनी चाहिए। | खाने के बाद की शुगर 140 mg/dl तक होनी चाहिए। |
प्रीडायबिटीज है तो खाली पेट 100-125 mg/dl तक होनी चाहिए। | प्रीडायबिटीज है तो खाने के दो घंटे बाद की शुगर 140-199 mg/dl होनी चाहिए। |
अगर डायबिटीज नई हुई है और कोई कॉम्प्लीकेशन नहीं तो खाली पेट की शुगर 120 mg/dl होनी चाहिए। | डायबिटीज के मरीजों की खाने के बाद की शुगर 180 mg/dl होनी चाहिए। |
क्रॉनिक डायबिटीज है और उम्र 60 के आस-पास है तो खाली पेट शुगर 150 mg/dl होनी चाहिए। | ऐसे लोगों की खाने के बाद शुगर 200 mg/dl होनी चाहिए। |