Blood Pressure reading: लोग अक्सर लो ब्लड प्रेशर या हाई ब्लड प्रेशर से जुड़े जोखिमों के बारे में बात करते हैं। हालांकि, ब्लड प्रेशर की सामान्य श्रेणी को समझने के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि वास्तव में ब्लड प्रेशर क्या है। जैसा कि सभी जानते हैं, हमारा दिल नियमित रूप से धड़कता है और यह ब्लड को पंप करता है जिसकी शरीर को जरूरत होती है। ब्लड ऊर्जा और ऑक्सीजन को शरीर के अलग-अलग हिस्से में पहुंचाता है। इसलिए, जब ब्लड फ्लो करता है, तो यह ब्लड वेसेल्स के पुश करता है। जिस ताकत का उपयोग करके ब्लड वेसेल्स को धक्का देता है, उसे ब्लड प्रेशर कहा जाता है। सरल शब्दों में, ब्लड द्वारा डाला गया दबाव ब्लड प्रेशर है।

बच्चों में ब्लड प्रेशर की सीमा:
जब बच्चा पैदा होता है, तो उसमें ब्लड प्रेशर की सीमा सबसे कम होती है। यह उम्र के साथ बढ़ता जाता है। आमतौर पर, बच्चे ब्लड प्रेशर की सामान्य सीमा का प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, यह बच्चे से बच्चे में भिन्न होता है क्योंकि प्रत्येक बच्चे के बढ़ने के तरीके में अंतर होता है। आमतौर पर, जब रक्तचाप की सीमा 85 से ऊपर होती है, तो इसे एक चेतावनी संकेत माना जा सकता है।

किशोरों और वयस्कों में ब्लड प्रेशर की सीमा:
जब आप युवावस्था में पहुंचते हैं या आप वयस्क होते हैं, तो सामान्य ब्लड प्रेशर की सीमा 120/80 तक ही रहती है। यहां पर, संख्या 120 सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को रिप्रजेन्ट कर रही है और 80 डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को रिप्रजेन्ट कर रहा है।

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर क्या है?
जब हम ब्लड प्रेशर की सामान्य सीमा की बात करते हैं तो डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर और सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के बारे में समझना महत्वपूर्ण होता है।

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर:
सरल शब्दों में, हार्ट बीट्स होने पर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर हृदय द्वारा दबाव डालता है।

डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर:
डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर एक दबाव है जो दिल पर डालता है जब वह आराम की अवस्था में होता है।

ब्लड प्रेशर की सामान्य सीमा से अधिक का मतलब क्या है?
जब सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के मामले में आपका ब्लड प्रेशर 120 से ऊपर हो जाता है तो यह एक समस्या मानी जाती है। हालांकि, अगर यह 140 से कम रहता है, तो उस स्थिति को प्रीहाइपरटेंशन कहा जाता है।

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