हार्मोन शरीर की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन शरीर में केमिकल मैसेंजर की तरह काम करते हैं। ये मेटाबॉलिज्म, मूड, नींद, प्रजनन क्षमता और मासिक धर्म यानी पीरियड्स चक्र जैसी कई प्रक्रियाओं को कंट्रोल करते हैं। जब हार्मोन का लेवल सामान्य रहता है, तो शरीर सुचारू रूप से काम करता है, लेकिन इनके ज्यादा बढ़ने या घटने पर कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स सामने आने लगती हैं। अगर, इनमें गड़बड़ी हो जाए तो इसके लक्षण शरीर में तुरंत दिखने लगते हैं, जिन्हें महिलाओं को इग्नोर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की डायरेक्टर- ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, डॉ. अरुणा कालरा के अनुसार, जब हार्मोन का लेवल बहुत ज्यादा या कम हो जाता है, तो इसके संकेत शरीर में साफ दिखाई देने लगते हैं। इन्हें समय रहते पहचान लेना जरूरी है, ताकि सही इलाज मिल सके और परेशानियों से बचा जा सके। डॉ. अरुणा कालरा के अनुसार, इन संकेतों को नजरअंदाज करने की बजाय समय रहते डॉक्टर से जांच करवाना चाहिए। हार्मोनल असंतुलन सिर्फ पीरियड्स या मूड पर असर नहीं डालता, बल्कि यह धीरे-धीरे दिल की सेहत, हड्डियों, प्रजनन क्षमता और मेटाबॉलिज्म पर भी असर डाल सकता है। सही समय पर पहचान और उपचार से न केवल लक्षणों से राहत मिलती है, बल्कि कई हेल्थ समस्याओं से भी बचा जा सकता है।
अनियमित या छूटे हुए पीरियड्स
पीरियड्स का ज्यादा भारी या हल्का होना, अचानक बंद हो जाना या समय से पहले/बाद में आना, पीसीओएस (PCOS), थायराइड समस्या या पेरिमेनोपॉज का संकेत हो सकता है।
अचानक वजन बढ़ना या घटना
अगर, डाइट और एक्सरसाइज में बदलाव किए बिना ही वजन बढ़ने या घटने लगे, तो यह इंसुलिन, कॉर्टिसोल या थायराइड हार्मोन के असंतुलन का नतीजा हो सकता है।
लगातार थकान
अच्छी नींद और आराम के बावजूद थकान महसूस होना, हाइपोथायरॉयडिज्म, एड्रिनल फटीग या प्रजनन हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) के असंतुलन से जुड़ा हो सकता है।
मूड स्विंग और एंग्जाइटी
अचानक चिड़चिड़ापन, मूड में उतार-चढ़ाव या घबराहट बढ़ना, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में बदलाव के कारण हो सकता है। यह अक्सर पीएमएस, पेरिमेनोपॉज या पोस्टपार्टम में देखने को मिलता है।
स्किन प्रॉब्लम्स
एडल्ट एक्ने, त्वचा का ज्यादा ऑयली या ड्राई होना – यह एंड्रोजन हार्मोन के बढ़ने या एस्ट्रोजन के कम होने से हो सकता है।
बाल झड़ना या अनचाहे बाल आना
स्कैल्प से बाल झड़ना या चेहरे व शरीर पर ज्यादा बाल आना, पीसीओएस और थायराइड जैसी बीमारियों का लक्षण हो सकता है।
हॉट फ्लैश और नाइट स्वेट्स
रात में पसीना आना या अचानक शरीर में गर्मी का अहसास होना, कम एस्ट्रोजन लेवल के कारण पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज में आम है।
नींद की समस्या
बार-बार नींद टूटना या नींद आने में परेशानी होना, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन की कमी का संकेत हो सकता है।
सेक्स ड्राइव में कमी
यौन इच्छा का कम होना, एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन या थायराइड हार्मोन के लो लेवल की वजह से हो सकता है।
पाचन संबंधी दिक्कतें
पीरियड्स के आसपास पेट फूलना, कब्ज या दस्त होना भी हार्मोनल बदलाव से जुड़ा होता है।
हार्मोनल बैलेंस रखने के उपाय
- प्रोटीन, हेल्दी फैट्स, फाइबर और मिनरल्स से भरपूर डाइट लें।
योग और मेडिटेशन तनाव कम करके हार्मोन को बैलेंस करते हैं। - रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
- तनाव सीधे कॉर्टिसोल और अन्य हार्मोन पर असर डालता है।
- थायराइड, शुगर और हार्मोनल टेस्ट करवाते रहें।
इसके अलावा सुबह उठते ही कुछ लक्षण दिखाई देने पर भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना अधिक हो जाती है, इन साइन को भी इग्नोर करना आपके लिए भारी पड़ सकता है।