Blood Pressure Chart: अधिकांशतः उच्च रक्तचाप के कोई भी लक्षण शरीर में दिखाई नहीं देते हैं। यही वजह है कि लोगों को पता नहीं चल पाता है कि वो बीपी के मरीज हैं। लंबे समय तक ब्लड प्रेशर हाई रहने से कई जानलेवा बीमारियों का खतरा पैदा होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर को जानने का एकमात्र उपाय है कि लोग समय-समय पर अपने रक्तचाप की स्तर जांच करते रहें। बता दें कि बीपी का सामान्य स्तर 120/80 mm Hg में 120 सिस्टोलिक नंबर और 80 डायस्टोलिक नंबर होता है।
बीपी का पूरा चार्ट यहां जानें: ब्लड प्रेशर चार्ट रक्तचाप के स्तर पर निगारानी रखने में मददगार साबित होते हैं। इसमें अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों का डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (DBP) और सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (SBP) बताया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सिस्टोलिक वैल्यू अगर 120 और डायस्टोलिक 80 से कम होता है तो उसे नॉर्मल ब्लड प्रेशर कहते हैं। वहीं, यदि ऊपर वाला हिस्सा 120 से 129 क बीच और नीचे का स्तर 80 mm Hg से कम होता है तो उसे एलिवेटेड माना जाता है।
हाइपरटेंशन का लेवल: एक्सपर्ट्स के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर या फिर हाइपरटेंशन वो स्थिति है जब लोगों के बीपी का स्तर ऊपर 130 – 139 और नीचे 80 – 89 mm Hg हो सकता है। इसे स्टेज 1 करार दिया जाता है, जबकि सिस्टोलिक 140 या उससे अधिक और डायस्टोलिक 90 या उससे ज्यादा होने पर हाइपरटेंशन स्टेज 2 होता है।
जांच के दौरान किन बातों का रखें ध्यान: विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ एक रीडिंग से बीपी लेवल पर विश्वास न करें। अगर रक्तचाप की रीडिंग नॉर्मल से थोड़ा जयादा है तो एक-दो बार और जांचें। यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग अचानक 180/120 mm Hg से अधिक हो जाता है तो पांच मिनट रुकें और दोबारा टेस्ट करें। दोबारा भी अगर यही लेवल रहता है तो मरीज हाइपरटेंसिव क्राइसिस से गुजर रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार बीपी का इतना लेवल और मरीजों के शरीर में कुछ परेशानियां जैसे कि छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी, पीठ में दर्द, सूनापन, कमजोरी और धुंधलापन होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
एक्सपर्ट्स क्या दते हैं सलाह: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक अगर मरीज घर पर रहकर अपनी देखभाल करते हैं तो बगैर चिकित्सक की सलाह के कोई भी दवा बंद या लेना न शुरू करें।