सर्दियों के मौसम में धूप की तीव्रता कम हो जाती है और कड़ाके की ठंड के कारण हमारा अधिकांश समय बंद कमरों में बीतता है। शरीर का अधिकांश हिस्सा गर्म कपड़ों से ढका होने के कारण त्वचा को पर्याप्त सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती, जिससे शरीर में विटामिन-D का स्तर तेजी से गिरने लगता है। हालिया शोधों के अनुसार, भारत जैसे धूप वाले देश में भी लगभग 70-90% आबादी विटामिन-D की कमी से जूझ रही है।

चिकित्सा विज्ञान के मुताबिक, इसकी कमी से Osteomalacia (ओस्टियोमलेशिया) जैसी बीमारी हो सकती है, जिसमें हड्डियां नरम और कमजोर हो जाती हैं, जिससे हल्का दबाव पड़ने पर भी शरीर और जोड़ों में असहनीय दर्द महसूस होता है। विटामिन-D की कमी के लक्षणों पर दुनिया भर में कई बड़े चिकित्सा शोध (Clinical Research) हुए हैं। शोध बताते हैं कि विटामिन-D केवल एक विटामिन नहीं है, बल्कि एक हार्मोन की तरह काम करता है, जो शरीर की लगभग हर कोशिका को प्रभावित करता है।

Journal of Investigative Medicine में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, विटामिन-D हमारे इम्यून सेल्स (T-cells और B-cells) को सक्रिय करता है। अगर आप बार-बार सर्दी, जुकाम या निमोनिया का शिकार हो रहे हैं, तो यह शोध संकेत देता है कि आपके शरीर की इम्यूनिटी को पर्याप्त विटामिन-D नहीं मिल रहा है। American Journal of Clinical Nutrition के अध्ययनों से पता चलता है कि विटामिन-D के बिना शरीर केवल 10-15% डाइटरी कैल्शियम को ही सोख पाता है। रिसर्च बताती है कि कम विटामिन-D के कारण हड्डियों का घनत्व (Density) कम हो जाता है, जिससे फ्रैक्चर का डर रहता है। British Journal of Psychiatry में छपी एक मेटा-एनालिसिस के अनुसार, विटामिन-D की कमी वाले लोगों में डिप्रेशन होने का जोखिम दो गुना अधिक होता है। आइए जानते हैं कि बॉडी में विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करें।

बॉडी में विटामिन डी की कमी की भरपाई

मशरूम खाएं (Mushrooms)

मशरूम शाकाहारियों के लिए विटामिन D का बेहतरीन स्रोत हैं। जब इन्हें धूप या UV लाइट में सुखाया जाता है, तो इनमें मौजूद एर्गोस्टेरॉल विटामिन D2 में बदल जाता है। 100 ग्राम सन-ड्राई मशरूम में करीब 400 IU विटामिन D पाया जाता है। बटन, ऑयस्टर और शिटाके मशरूम भारतीय मिट्टी में आसानी से उगते हैं और सब्जी, स्टिर-फ्राई व स्टफ्ड डिशेज़ में इस्तेमाल किए जाते हैं।

फैटी फिश का करें सेवन (Fatty Fish)

मैकेरल, हिलसा, रोहू और सार्डिन जैसी मछलियों में विटामिन D3 और ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। 100 ग्राम ग्रिल्ड मैकेरल से 360–500 IU विटामिन D मिलता है। रिसर्च के अनुसार मछली खाने वालों में विटामिन D का स्तर 20–30% तक बेहतर होता है। यह बच्चों में रिकेट्स और बुजुर्गों में ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में मदद करती है।

सर्दी में अंडा जरूर खाएं (Eggs)

एक बड़ा अंडा लगभग 40 IU विटामिन D देता है, जो मुख्य रूप से इसके पीले हिस्से (योल्क) में होता है। इसके अलावा अंडे में प्रोटीन और कोलीन भी होता है, जो दिमागी विकास के लिए जरूरी है। देसी या फ्री-रेंज अंडों में विटामिन D की मात्रा ज्यादा होती है। भुर्जी, उबले अंडे या ऑमलेट के रूप में रोज 1–2 अंडे सुरक्षित रूप से खाए जा सकते हैं।

डेयरी प्रोडक्ट्स भी हैं जरूरी (Dairy Products)

फोर्टिफाइड दूध, दही और पनीर विटामिन D और कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं। रोजाना दूध या दही लेने से 100–120 IU विटामिन D मिल सकता है। रिसर्च बताती है कि डेयरी प्रोडक्ट्स विटामिन D के अवशोषण को बेहतर बनाते हैं। दही में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया पाचन सुधारते हैं। हल्दी वाला दूध, रायता या पनीर की सब्जी रोजमर्रा की डाइट में आसानी से शामिल की जा सकती है।

मिलेट्स और हरी सब्ज़ियां जरूर खाएं (Millets & Greens)

रागी शरीर में कैल्शियम और विटामिन D के बेहतर उपयोग में मदद करती है। चौलाई, मेथी और सहजन की फलियों में थोड़ी मात्रा में विटामिन D पाया जाता है। 100 ग्राम में लगभग 0.5–1 माइक्रोग्राम विटामिन D हो सकता है। रागी डोसा या रागी दलिया को हरी सब्जियों के साथ खाने से शाकाहारियों में हड्डियों की मजबूती बनी रहती है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह के इलाज या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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