मोतियाबिंद (Cataract) एक ऐसी परेशानी है जिसका मुख्य कारण आंखों के प्राकृतिक लेंस का धुंधला होना है। हेल्दी आंखों में लेंस पारदर्शी होता है, जिससे प्रकाश आसानी से गुजरकर रेटिना पर फोकस होता है। लेकिन मोतियाबिंद होने पर ये लेंस सफेद या धुंधला पड़ जाता है, जिससे नजर कमजोर होने लगती है। हमारी आंखों का लेंस मुख्य रूप से पानी और प्रोटीन से बना होता है। उम्र बढ़ने के साथ लेंस के भीतर मौजूद प्रोटीन आपस में जुड़ने या ‘क्लंप’ (Clump) बनाने लगते हैं। यह क्लंपिंग प्रकाश को रेटिना तक पहुंचने से रोकती है और लेंस के उस हिस्से को धुंधला बना देती है। धीरे-धीरे ये धुंधलापन पूरे लेंस पर फ़ैल जाता है।
शरीर में ‘फ्री रेडिकल्स’ और एंटीऑक्सीडेंट्स के बीच असंतुलन लेंस की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। सूरज की हानिकारक यूवी (UV) किरणें, प्रदूषण और खराब खान-पान इस ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाते हैं, जिससे लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है।
- मोतियाबिंद होने के लिए कई प्रमुख कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे बढ़ती उम्र, डायबिटीज, इंजरी या चोट, स्टेरॉयड का अधिक उपयोग,यूवी किरणें और अनुवांशिक कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। मोतियाबिंद की परेशानी होने पर बॉडी में कुछ लक्षण दिखते हैं जैसे
- दृष्टि का धुंधला होना।
- रात में कम दिखाई देना
- रंगों का फीका या पीला दिखाई देना।
- एक ही आंख से दोहरी चीजें (Double Vision) दिखना।
- बार-बार चश्मे का नंबर बदलना शामिल है।
क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट और कंसल्टेंट फार्मासिस्ट डॉक्टर जावेद खान के मुताबिक आमतौर पर मोतियाबिंद की परेशानी 40 साल की उम्र के बाद होती है, लेकिन डाइट में कुछ जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने से ये परेशानी कम उम्र में ही लोगों को परेशान करने लगती है। Ophthalmology जर्नल में प्रकाशित एक बड़े अध्ययन के अनुसार, जिन लोगों की डाइट में विटामिन सी,विटामिन डी, विटामिन ई, विटामिन C, B6, B9, B12 की मात्रा कम होती है, उनमें मोतियाबिंद बढ़ने का खतरा 33% तक ज्यादा होता है।
रिसर्च के मुताबिक 60 साल से अधिक उम्र के लगभग 40% लोगों में सफेद मोतिया पाया जाता है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और अक्सर तब पता चलती है जब आंखों को काफी नुकसान हो चुका होता है। मोतियाबिंद से बचाव करना है तो आप अपनी डाइट में कुछ जरूरी पोषक तत्वों को शामिल करें। कुछ खास विटामिन आंखों की सेहत को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे विटामिन हैं जो मोतियाबिंद से बचाव करते हैं और 50 की उम्र में भी नजर तेज रखते हैं।
विटामिन E
विटामिन E आंखों के लिए एक बेहद ज़रूरी एंटीऑक्सीडेंट है। यह फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है, जो आंखों के लेंस की प्रोटीन को नुकसान पहुंचा कर कैरेक्टर का कारण बनते हैं। यह रेटिना की कोशिकाओं की रक्षा करता है और उम्र से जुड़ी आंखों की बीमारियों जैसे एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन के खतरे को कम करता है। साथ ही, यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर आंखों के इंफेक्शन से भी बचाता है। विटामिन E बादाम, सनफ्लावर सीड्स, पालक और एवोकाडो में पाया जाता है। बेहतर अवशोषण के लिए इसे हेल्दी फैट्स जैसे जैतून के तेल या फैटी फिश के साथ लेना फायदेमंद होता है।
विटामिन A
आंखों की सेहत की बात हो और विटामिन A का ज़िक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। ये विटामिन आंखों में रोप्सिन नामक पिगमेंट बनाने में मदद करता है, जिससे कम रोशनी या अंधेरे में देखने की क्षमता बनी रहती है। इसकी कमी से नाइट ब्लाइंडनेस हो सकती है। विटामिन A कॉर्निया को स्वस्थ रखता है, आंखों की सूखापन और इंफेक्शन से बचाता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके कैरेक्टर के खतरे को घटाता है। गाजर, शकरकंद, पालक, आम और कलेजी जैसे फूड्स इसके अच्छे स्रोत हैं। यह फैट सॉल्युबल विटामिन है, इसलिए इसे नट्स या तेल के साथ लेना ज़्यादा असरदार होता है।
विटामिन D
विटामिन D को सनशाइन विटामिन कहा जाता है। ये सिर्फ हड्डियों के लिए ही नहीं, बल्कि आंखों की सेहत के लिए भी बेहद अहम है। इसमें सूजन कम करने और इम्यून सिस्टम को संतुलित रखने की क्षमता होती है। विटामिन D आंखों के अंदर के प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे ग्लूकोमा का खतरा कम होता है। यह रेटिना तक ब्लड फ्लो को बेहतर बनाता है और डायबिटीज के मरीजों में डायबेटिक रेटिनोपैथी के रिस्क को घटाता है। रोज़ाना 15–20 मिनट धूप में बैठना, फैटी फिश, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध और मशरूम इसका अच्छा स्रोत हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है।
बी विटामिन जैसे B6, B9, B12 का सेवन करना
बी विटामिन्स आंखों की नसों और ब्लड वेसल्स की सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं। ये शरीर में होमोसिस्टीन नामक हानिकारक अमीनो एसिड को कंट्रोल करते हैं, जिसका बढ़ा हुआ स्तर आंखों की नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। विटामिन B12 ऑप्टिक नर्व की सुरक्षा करता है, B9 (फोलेट) रेटिना की कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करता है और B6 नर्व ट्रांसमिशन को बेहतर बनाता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, फोर्टिफाइड सीरियल्स, दालें, अंडे और सी-फूड बी विटामिन्स के अच्छे स्रोत हैं। जो लोग मांसाहार नहीं है, उनमें इसकी कमी ज्यादा देखी जाती है, ऐसे में सप्लीमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
निष्कर्ष
ये सभी विटामिन आंखों को लंबे समय तक सेहतमंद रखने में मदद करते हैं और कैटरेक्ट व ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं। सही डाइट, समय पर जांच और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर आंखों की रोशनी को सुरक्षित रखा जा सकता है।
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