दिन में निर्धारित और सही वक्त पर अगर पेट साफ हो जाए, तो बाकी का वक्त चेहरे पर सुकून और राहत के साथ गुजरता है। रचनात्मक सक्रियता बनी रहती है। लेकिन अगर हर वक्त थकान महसूस हो या सिर भारी लगने लगे, मुंह कसैला हो, कोई काम करने में मन न लगे या फिर मन पर चिड़चिड़ापन हावी होता दिखने लगे तो निश्चित तौर पर चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।
मगर इसके साथ-साथ अपना खयाल रखने के तौर पर एक बार अपने पेट की स्थिति पर विचार कर लिया जाए तो शायद खुद को ठीक करने में मदद मिल सकती है। सिर्फ एक कब्ज कई तरह की बीमारियों या दिक्कतों का रास्ता खोल सकता है। विडंबना यह है कि कई बार लोग जानते-बूझते हुए भी खानपान और जीवनशैली के ऐसे स्वरूप को अपना लेते हैं, जो उनकी बाकी जीवनचर्या को बाधित कर देता है।
आज एक बड़ी आबादी खाना सही से नहीं पचने और इसके कारण मल त्याग करने में दिक्कत से परेशान है। बहुत सारे लोग अगर यह समझ भी पाते हैं कि उन्हें कब्ज की समस्या है तो उन्हें यह नहीं पता होता है कि यह दूसरे कई गंभीर परेशानियों को जन्म दे सकता है।
यही वजह है कि इसकी जटिलता से अनजान लोग इसके लक्षणों से गुजरने के बावजूद अपने खानपान को संतुलित और नियंत्रित नहीं करते और शारीरिक गतिविधियों को लेकर सचेत नहीं होते। जबकि ऐसी अनदेखी बाद में बवासीर और भगंदर जैसी दिक्कतों का कारण बन जाती है, जिसका सामना करना व्यक्ति के लिए बेहद तकलीफदेह हो जाता है।
लक्षण पर नजर
इसलिए जरूरी है कि शुरुआती तौर पर ही इसके लक्षणों की पहचान कर लेनी चाहिए। मसलन, पाचन क्रिया बाधित होना, सिरदर्द, वायु, भूख न लगना, जी-मिचलाना, कमजोरी, चेहरे पर मुंहासे, काले दाग जैसी समस्या दिख सकती है। फिर अगर कब्ज ने जड़ पकड़ लिया है तो रोजमर्रा के सभी कामों पर इसका नकारात्मक असर पड़ना शुरू हो जाता है।
कारण की खोज
अव्वल तो जिस तरह के भोजन की वजह से पेट भारी रहने लगता हो और मल त्याग करने में दिक्कत आने लगती हो, उसका तुरंत त्याग कर देना चाहिए। सूखा, ठंडा, मसालेदार, तला हुआ, फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन, पर्याप्त पानी न पीना, खाने में उचित मात्रा में फाइबर न होना, अनियमित खानपान और गतिहीन दिनचर्या गुजारना ऐसे कारण हैं, जो तोहफे के तौर पर कब्ज देकर जाती हैं।
बचाव और इलाज
सबसे पहला काम अपने खानपान में सुधार करना चाहिए। यानी रोजाना नाश्ते, खाने में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए, जो खाना पचने और मल त्याग को आसान बनाए। इसमें तरल पदार्थों के सेवन से कब्ज के घरेलू इलाज में सहायता मिलती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ-साथ हरी सब्जियों का सेवन, मौसमी फल और उसका रस पीना पेट की सेहत के लिए फायदेमंद होगा।
इसके अलावा, नारियल तेल कब्ज की समस्या से निपटने में कई स्तर पर मददगार होता है। हालांकि इसका फायदा कई अन्य जटिल रोगों में भी मिलता है। कब्ज में पपीता भी कई तरह से फायदेमंद है, जिसमें मौजूद रसायन मल त्याग को आसान बनाते हैं। इसके अलावा, नींबू का रस और शहद भी कब्ज को दूर करने में मददगार होता है। केवल नींबू को काला नमक के साथ खाना भी फायदेमंद होता है। इसके अलावा, घर की रसोई में रखे अजवाइन, जीरा मुनक्का आदि कब्ज को दूर करने में सहायक साबित होते हैं।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)