‘द गटलेस फूडी’ के नाम से जानी जाने वाली फेमस फूड ब्लॉगर नताशा डिड्डी का निधन हो गया है। बीते रविवार को महाराष्ट्र के पुणे में नताशा ने आखिरी सांस ली। उनके पति ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए इस दुखद खबर की जानकारी दी है। नताशा की मौत का कारण फिलहाल सामने नहीं आया है, हालांकि अपने कुछ पुराने इंटरव्यू में नताशा ने बताया था कि वे डंपिंग सिंड्रॉम से जूझ रही हैं और उन्हें पिछले कुछ समय से उल्टी, मतली, थकान, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इन कारणों को ही नताशा की मौत से जोड़कर देखा जा रहा है।
इस गंभीर बीमारी के चलते निकाल लिया गया था पेट
दरअसल, नताशा का पेट नहीं था। 12 साल पहले ट्यूमर के चलते उनका पेट निकाल लिया गया था, जिसके बाद से ही वे बिना पेट के रह रही थीं। अब, डंपिंग सिंड्रॉम को उनकी मौत का कारण माना जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी, साथ ही जानेंगे कि बिना पेट के नताशा का पाचन तंत्र किस तरह काम करता था।
क्या होता है डंपिंग सिंड्रॉम?
डंपिंग सिंड्रोम दरअसल, पेट से जुड़ी ही एक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर खाना लंबे समय तक पेट में नहीं रह पाता है और तुंरत छोटी आंत में पहुंच जाता है। ऐसे में भोजन का पाचन सही ढंग से नहीं हो पाता है, जिससे व्यक्ति को उल्टी, मतली, अपच, दस्त आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बिना पेट के कैसे होता था पाचन?
चूंकि नताशा का पेट निकाला जा चुका था, ऐसे में उनका शरीर ज्यादा देर तक खाना स्टोर नहीं कर सकता था। वे जो कुछ भी खाती थीं, वो सीधे छोटी आंत में जाता था। इसके चलते उन्हें अक्सर कई दिक्कतें आती थीं, जिसमें डंपिंग सिंड्रॉम भी शामिल है। हमारे पेट में विटामिन बी बनता है ऐसे में नताशा को नियमित तौर पर इसके इंजेक्शन लेने पड़ते थे। वे थोड़ी मात्रा में भी मीठे का सेवन नहीं कर सकती थीं।
शुगर डंपिंग सिंड्रॉम की स्थिति को अधिक गंभीर बना देती है। ऐसे में थोड़ी मात्रा में भी मीठा खाने से नताशा के बेहोश होने की आशंका रहती थी। पेट न होने के चलते वे एक बार में ज्यादा खाना नहीं खा पाती थीं। इससे अलग वे दिन में सात-आठ बार थोड़ा-थोड़ी खाना खाती थीं। उनकी डाइट में ज्यादातर लिक्विड चीजें शामिल होती थीं, जिन्हें आसानी से पचाया जा सकता था। वहीं, किसी भोजन के खाए जाने पर उनके शरीर पर कैसा असर पड़ता था, इस बात की लगातार निगरानी होती थी। इस तरह उन्होंने 12 सालों तक बिना पेट के जीवन व्यतीत किया।
शैफ और फूज ब्लॉगर होने के साथ-साथ नताशा कुछ होटलों में कंसल्टेंट के तौर पर भी काम किया करती थीं साथ ही उन्होंने’Foursome’ नामक एक किताब भी लिखी है।