कैंसर एक ऐसी बीमारी जो एक बार किसी को हो जाए तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। कैंसर की बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है। दुनिया भर में कई प्रकार के कैंसर हैं, जो हर साल लाखों लोगों की जान तक ले रहे हैं। लिवर कैंसर भी दुनिया के सबसे घातक कैंसरों में से एक है, जिसका इलाज बेहद महंगा और सीमित है, लेकिन अब लिवर कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। रिसर्च के मुताबिक, एक तरीके से लिवर कैंसर के इलाज को न केवल सस्ता बनाया जा सकता है, बल्कि इसे ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक भी पहुंचाया जा सकता है।
दरअसल, लिवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अंग है। हेल्दी और स्वस्थ शरीर के लिए लिवर का सही ढंग से काम करना बेहद जरूरी है। यह न केवल शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म कंट्रोल करने और हार्मोन को संतुलित रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में प्रोसेस्ड फूड, शराब का सेवन, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और बैठे-बैठे रहने की आदतें लिवर पर ज्यादा दबाव डालती हैं, जिसके चलते लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
क्या है लिवर कैंसर का सस्ता इलाज
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर के वैज्ञानिकों ने अमरूद से निकाले गए विशेष अणुओं यानी मॉलिक्यूल्स की मदद से एक नई उम्मीद जगाई है। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने नेचुरल प्रोडक्ट टोटल सिंथेसिस नामक तकनीक का इस्तेमाल कर इन मॉलिक्यूल्स को लैब में ही दोबारा तैयार करने की कम-खर्च और बड़े लेवल पर विधि विकसित की है। यह खोज भविष्य में लिवर कैंसर के इलाज को न केवल सस्ता बनाएगी, बल्कि इसे ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक पहुंचाने का रास्ता भी आसान करेगी।
लिवर कैंसर और नेचर से कैसे बनेगी दवा
प्राकृतिक स्रोतों से दवा बनाना कोई नई बात नहीं है। इतिहास में कई दवाएं पौधों से मिली हैं, जैसे विलो बार्क से बनी एस्पिरिन या अन्य हर्बल मेडिसिन आदि। डेलावेयर यूनिवर्सिटी की टीम ने अमरूद के मॉलिक्यूल्स को लैब में तैयार करने का तरीका खोज लिया है। इससे न केवल शोधकर्ता पर्याप्त मात्रा में इन मॉलिक्यूल्स को तैयार कर पाएंगे, बल्कि भविष्य में दवाओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन भी संभव हो सकेगा।
अमरूद मॉलिक्यूल्स और लिवर कैंसर का इलाज
रिसर्च में मिले अमरूद आधारित मॉलिक्यूल्स खासकर लिवर और बाइल डक्ट यानी पित्त नलिका कैंसर को टारगेट करने में असरदार साबित हो सकते हैं। ये दोनों कैंसर इलाज के लिहाज से सबसे मुश्किल माने जाते हैं और इनके आखिरी चरण यानी लास्ट स्टेज में मरीज की 5 साल तक जीवित रहने की संभावना 15% से भी कम होती है।
अब इन अणुओं को लैब में आसानी से बनाया जा सकता है, वैज्ञानिक मौजूदा दवाओं के साथ इनका कॉम्बिनेशन खोज सकते हैं और प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग को तेज कर सकते हैं। इससे जल्द ही ऐसे टारगेटेड और ज्यादा असरदार इलाज तैयार हो सकते हैं, जिनमें प्राकृतिक पौधों पर निर्भरता नहीं होगी।
रिसर्च के मुताबिक, इसका प्रोसेस किफायती और दोहराने योग्य है। वैज्ञानिकों ने एक तरह से “रेसिपी” तैयार की है, जिसे दुनिया भर के केमिस्ट फॉलो करके अमरूद के अणुओं को खुद तैयार कर सकते हैं। प्रोफेसर विलियम चैन के अनुसार, ज्यादातर क्लिनिकली अप्रूव्ड दवाएं किसी प्राकृतिक उत्पाद से बनी होती हैं या उन पर आधारित होती हैं, लेकिन प्राकृतिक संसाधन सीमित होते हैं। अब हमारी विधि से कोई भी लैब इसे अपना सकती है और दवा उत्पादन कर सकती है।
वहीं, एसिडिटी, गैस और पेट फूलने की समस्या को आम मानकर अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि लंबे समय तक ऐसा होना सेहत के साथ-साथ पेट के कैंसर का कारण बन सकता है।