टीबी जिसे तपेदिक के नाम से भी जाना जाता है,इसकी शुरुआत माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है। शुरुआती दौर में इस बीमारी के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल होता है, लेकिन जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता है मरीज की परेशानियां बढ़ने लगती हैं। खराब डाइट इस बीमारी के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में 2021 में 4,94,000 मौतों के साथ 30 लाख नए टीबी के मामले दर्ज किए गए।
टीबी की बीमारी के लक्षणों की बात करें तो तीन हफ्तों से अधिक खांसी होना,सीने में दर्द होना,थूक में खून आना या खांसी के साथ खून आना,वजन का कम होना,भूख नहीं लगना,ठंड ज्यादा लगना और बुखार होना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।
टीबी की बीमारी के इलाज में डाइट बेहद असरदार साबित होती है। भारतीय शोधकर्ताओं ने पिछले तीन सालों में झारखंड के 10 हजार से अधिक लोगों पर दो अध्ययन किए हैं, जिसे मंगलवार को मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित किया गया। इस अध्ययन के मुताबिक टीबी की बीमारी में 1200 कैलोरी और 52 ग्राम प्रोटीन युक्त डाइट का सेवन करने की सलाह दी गई है। आइए रिसर्च से जानते हैं कि कैसे डाइट टीबी की बीमारी का उपचार कर सकती है।
डाइट कैसे टीबी की बीमारी पर असरदार है
जब झारखंड के एक 18 साल के आदिवासी को टीबी की बीमारी होने का पता चला तो उस समय उसकी बॉडी बिल्कुल खत्म हो चुकी थी। उसका वजन सिर्फ 26 किलो था, वह बिस्तर से उठ नहीं पाता था और उसके पास जीने की कोई उम्मीद नहीं थी। इस युवा के परिवार को दिन में एक वक्त का खाना भी मुश्किल से मिल पाता था, जिससे उनकी हालत खराब हो गई। रिसर्च के मुताबिक जब इस 18 साल के युवा को पौष्टिक भोजन के पैकेट दिए गए तो छह महीने में लड़के के शरीर का वजन 16 किलो बढ़ गया।
रिसर्च के मुताबिक हेल्दी डाइट और पोषण से न केवल संक्रमित रोगियों के साथ रहने वाले कमजोर लोगों में टीबी की घटनाओं को रोकने में मदद मिली, बल्कि रोगियों में मृत्यु दर पर भी अंकुश लगा। इस अध्ययन का निष्कर्ष द लैंसेट और द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ हैं। अध्ययन के मुताबिक डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करके टीबी के मामलों और मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
टीबी की बीमारी पर की गई रिसर्च
मंगलूरू के येनेपोया मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. अनुराग भार्गव ने बताया कि 16 अगस्त 2019 से 31 जनवरी 2021 के बीच पहला अध्ययन किया गया, जिसमें झारखंड की आदिवासी आबादी में करीब 10,345 लोगों को शामिल किया गया। अध्ययन के मुताबिक जब मरीजों को हेल्दी डाइट दी गई तो 48 फीसदी लोगों में टीबी का जोखिम कम था।
रिसर्च में निकला ये निष्कर्ष
ये निष्कर्ष ऐसे समय में आए हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक टीबी को खत्म करने की बात कही है। राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के तहत, जिन रोगियों में तपेदिक का निदान किया जाता है, उन्हें हर महीने इलाज के लिए 500 रुपये पोषण सहायता दी जाती है। यह अध्ययन बताते हैं कि अगर टीबी के मरीज को रोजाना दवा के साथ हेल्दी डाइट भी दी जाए तो अच्छे परिणाम ज्यादा तेजी से मिल सकते हैं।