हमारी आंत सिर्फ पाचन की नली नहीं है बल्कि ट्रिलियन की संख्या में सूक्ष्मजीवों का समूह है। ये माइक्रोब्स (सूक्ष्मजीव) पाचन, इम्यूनिटी, मेटाबॉलिज्म और यहां तक कि मूड को भी प्रभावित करते हैं। हमारी आंत एक ऐसा इकोसिस्टम है जब ये संतुलित होता है, तो हम ऊर्जा से भरपूर, मजबूत और आरामदायक महसूस करते हैं। लेकिन जब यह असंतुलित हो जाता है तो हमें पाचन से जुड़ी परेशानियां जैसे पेट फूलना, अनियमित बाउल मूवमेंट, थकान और कमजोर इम्यून सिस्टम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

AIIMS, हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड से ट्रेंड गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने इंस्टाग्राम पर खान-पान से जुड़ी आदतों को अपनाने का सुझाव दिया है जिन्हें लगभग हर कोई अपनाकर अपनी गट की सेहत को बेहतर बना सकता है। इन आदतों से गट में सुधार होता है इसका वैज्ञानिक प्रमाण भी मौजूद है।  आइए जानते हैं कि ऐसी कौन-कौन सी आदते हैं जो गट हेल्थ में सुधार करती है।

डाइट में प्रीबायोटिक फूड्स खाएं

एक्सपर्ट ने बताया अगर आप अपनी गट हेल्थ में सुधार करना चाहते हैं तो आप अपनी डाइट में लहसुन, प्याज, शतावरी, लीक्स, केले और होल ग्रेन्स का सेवन करें। प्रीबायोटिक फूड्स हमारी पाचन प्रणाली द्वारा नहीं टूटते, बल्कि ये हमारी आंत के अच्छे बैक्टीरिया के लिए ईंधन का काम करते हैं। इन्हें आंतों के बैक्टीरिया के लिए उर्वरक की तरह समझा जा सकता है।

लहसुन, प्याज, शतावरी, लीक्स, केले और होल ग्रेन्स में इन्यूलिन, फ्रुक्टो-ओलिगोसैकराइड्स और रेसिस्टेंट स्टार्च जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो Bifidobacteria और Lactobacilli जैसी लाभकारी बैक्टीरिया के लिए उपयुक्त हैं। इन फूड्स का सेवन करने से आंतों में अरबों की संख्या में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं। प्रीबायोटिक्स फूड्स को आंत के माइक्रोब्स तोड़कर शॉर्ट-चेन फैटी एसिड और अन्य मेटाबोलाइट्स बनाते हैं, जो न केवल पाचन तंत्र बल्कि इम्यून और मेटाबॉलिक सिस्टम के लिए भी फायदेमंद हैं। इन फूड्स का सेवन करने से पेट की गैस, एसिडिटी और अपच से राहत मिलती है।

प्रोबायोटिक फूड्स खाएं

आंतों को हेल्दी रखने के लिए आप डाइट में दही, किफिर, कंबुचा, किमची और इडली का सेवन करें। जब प्रीबायोटिक्स आपके माइक्रोब्स को खुराक देते हैं तो प्रोबायोटिक फूड्स सीधे गट से लिए फायदेमंद जीवाणु रिलीज करते हैं। फर्मेंटेड डेयरी जैसे दही और योगर्ट, फर्मेंटेड ड्रिंक जैसे किफ़िर और कंबुचा, फर्मेंटेड वेजिटेबल्स जैसे किमची और फर्मेंटेड ग्रेन्स जैसे इडली में Lactobacillus, Bifidobacterium जैसे बैक्टीरिया की स्ट्रेन मौजूद होती हैं। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक फूड्स मिलकर आंत के बैक्टीरिया का बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं। ये फूड पाचन सुधारने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। रोज़ाना एक या दो प्रोबायोटिक फूड्स जैसे एक कप दही, एक सर्विंग किमची या एक ग्लास किफ़िर का सेवन करने से आपकी गट हेल्थ में सुधार होता है।

फाइबर रिच फूड्स खाएं

हाई-फाइबर फूड्स जैसे चिया सीड्स और बेरीज फाइबर रिच फूड्स है जो हमारी आंत का भोजन हैं। ज्यादातर फाइबर छोटे आंत में टूटते नहीं हैं और बड़ी आंत तक पहुंचते हैं, जहां बैक्टीरिया इन्हें शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (SCFAs) में बदलते हैं। ये एसिड्स कोलन हेल्थ को दुरुस्त करते हैं, ब्लोटिंग को कंट्रोल करते हैं और गट हेल्थ में सुधार करते हैं। फाइबर रिच फूड आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं, मेटाबॉलिक सिस्टम में सुधार करते हैं और पाचन को दुरुस्त करते हैं। डॉ. सेठी के अनुसार आप रोज़ाना लगभग 30 ग्राम फाइबर रिच फूड्स जैसे चिया सीड्स, बेरीज, होल ग्रेन्स, दाल, सब्ज़ियों का सेवन करें।

पानी ज्यादा पिएं

पानी का सेवन बॉडी के हर अंग के लिए जरूरी है। पर्याप्त पानी पीने से बॉडी हाइड्रेट रहती है और पाचन दुरुस्त रहता है। पानी पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फाइबर को आंत में मूव करने में मदद करता है, आंत की म्यूकोसल लाइनिंग को सपोर्ट करता है और माइक्रोब्स के लिए अनुकूल वातावरण बनाए रखता है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि पानी की मात्रा आंत के माइक्रोबायोम की विविधता को प्रभावित करती हैं। सही मात्रा में पानी पीने से माइक्रोब्स का संतुलन बेहतर रहता है और पाचन में सुधार होता है।

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