सर्दियों के मौसम में सांस से संबंधी कई समस्या होने का खतरा अधिक रहता है। सर्दियों में खासतौर पर अस्थमा के मरीजों को अपना खास ध्यान रखना पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के दौरान सांस संबंधी समस्याओं से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक टिप्स को अपनाकर अस्थमा की समस्या को रोका जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं क्या हैं वो टिप्स…
ऊनी कपड़े पहनने
अस्थमा एक गंभीर श्वसन रोग है। एक बार यह समस्या हो जाती है तो आसानी से दूर नहीं होती। खासतौर पर जब सर्दियां आती हैं तो अस्थमा की समस्या और भी बढ़ जाती है। सांस लेना बहुत मुश्किल है। खांसी, सीने में दर्द और घरघराहट अस्थमा के मूल लक्षण हैं। अस्थमा के मरीजों को सर्दियों में ऊनी कपड़े पहनने चाहिए। कहा जाता है कि इस बात का ध्यान रखें कि ठंडी हवा सीधे नाक और कान में न जाए।
तुलसी के पत्ते
अस्थमा को कंट्रोल करने में तुलसी अहम भूमिका निभाती है। तुलसी कफ नाशक गुणों से भरपूर होती है। तुलसी सांस नली में जमा कफ को बाहर निकालती है और श्वसन संबंधी सूजन को कम करती है। इसके लिए सबसे पहले तुलसी की कुछ पत्तियां लें। पानी डालें और 5 से 10 मिनट तक गर्म करें। फिर पानी को छानकर पी लें। ऐसा रोजाना नियमित रूप से करने से अस्थमा की समस्या कम हो जाएगी। तुलसी के पानी में थोड़ा सा शहद मिलाने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
मुलेठी
आयुर्वेद में मुलेठी (मीठा) का बहुत महत्व है। इसके औषधीय गुण गले में कफ जमने से रोकते हैं। मुलेठी में खांसी-रोधी गुण होते हैं। मुलेठी पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पीने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस तरह नियमित रूप से सेवन करने से फेफड़ों की समस्याएं दूर हो जाती हैं। मुलेठी की जड़ों को गर्म पानी में उबालकर ठंडा पानी पीने से अस्थमा ठीक हो जाता है।
अदरक भी बेस्ट ऑप्शन
अदरक अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए भी अच्छा है। इसके लिए अदरक को पानी में डालकर उबाल लें। फिर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाएं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आप दिन में दो बार इसका सेवन करेंगे तो अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
इसके अलावा हर किसी को अपनी उम्र के हिसाब से एक दिन में एक सीमित समय तक पैदल जरूर चलना चाहिए। यहां जानिए उम्र के हिसाब से पैदल चलने के फायदे क्या होते हैं।