दांतों की साफ सफाई न सिर्फ हमारी ओरल हेल्थ में सुधार करती है बल्कि हमारी ओवर ऑल  हेल्थ पर भी इसका असर पड़ता है। दांतों की साफ-सफाई से मतलब दिन में एक से दो बार दांतों पर ब्रश करने से या फिर माउथवॉश से कुल्ला करने से नहीं है बल्कि दांतों में जमा खाने के कण, प्लॉक और बैक्टीरिया को हटाना है। हम जो कुछ भी खाते हैं उसका कुछ न कुछ अंश दांतों में फंस जाता है, जिसे अगर रोज साफ नहीं किया जाए तो मसूड़ों की बीमारी, कैविटी, बदबूदार सांस और दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम पैदा कर सकता है।

ओरल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए दांतों की सफाई रखना बेहद जरूरी है। दांतों की सफाई करने का सबसे आसान तरीका है फ्लॉसिंग है। फ्लॉसिंग दांत साफ करने की प्रक्रिया है जिसमें पतले धागे जैसी डेंटल फ्लॉस का इस्तेमाल करके दांतों के बीच और मसूड़ों के नीचे जमा खाने के कण, प्लैक और बैक्टीरिया को हटाया जाता है। जब हम केवल ब्रश करते हैं तो दांतों की सतह तो साफ़ कर देते है, लेकिन दांतों के बीच और मसूड़ों के नीचे के हिस्सों में जमा चीज़ें नहीं हट पातीं। फ्लॉसिंग इन्हीं जगहों को साफ़ करके मसूड़ों की बीमारी, कैविटी, बदबूदार सांस और ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से बचाव करती है। आइए जानते हैं कि फ्लॉसिंग करने से कैसे ओरल हेल्थ में सुधार होता है और बॉडी को कौन-कौन से फायदे होते हैं।

फ्लॉसिंग से कैसे ओरल हेल्थ में होता है सुधार

National Institute of Dental and Craniofacial Research (NIDCR) के मुताबिक रोजाना कुछ मिनट फ्लॉसिंग करने से कैविटी और मसूड़ों की बीमारी का जोखिम घटता है और डेंटिस्ट के खर्च से भी बचाव होता है। फ्लॉसिंग करने से दांतों के बीच और मसूड़ों के नीचे जमा प्लैक और खाने के कण हट जाते हैं और दांतों की कैविटी और संक्रमण से बचाव होता है। ये तरीका गम डिजीज, जिंजिवाइटिस और पेरियोडोंटाइटिस को रोकने में मदद करता है। रोज दांतों की फ्लॉसिंग करने से मसूड़ों की बीमारी का जोखिम घटता है, दांत हेल्दी रहते हैं और मुस्कान भी अच्छी दिखती है। फ्लॉसिंग खाने के कण और प्लैक को हटाकर मुंह की दुर्गंध कम करता है। दांतों को साफ करने का ये तरीका मसूड़ों की सूजन और बैक्टीरिया के निर्माण को रोकता है। फ्लॉसिंग नहीं करने से मसूड़ों की बीमारी और मसूड़ों में सिकुड़न हो सकती है। नियमित फ्लॉसिंग मसूड़ों को हेल्दी रखकर दांतों की संरचना को सुरक्षित रखती है।

फ्लॉसिंग करने से सेहत को कौन से होते हैं फायदे

फ्लॉसिंग मुंह के बैक्टीरिया और प्लैक को हटाकर इम्यून सिस्टम पर दबाव कम करता है। ये ओरल इन्फेक्शन को रोकता है और शरीर को अन्य बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। फ्लॉसिंग करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बीमारियों से लड़की की और उनसे बचाव करने की ताकत पैदा होती है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि रोज दांतों की फ्लासिंग करने से वजन भी कंट्रोल रहता है। खराब ओरल हाइजीन वाले लोगों का वजन बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा होती है।

फ्लॉसिंग ओरल इन्फेक्शन को कंट्रोल करके वजन को कंट्रोल करने में मदद देती है। फ्लॉसिंग करने से स्ट्रोक का जोखिम कम होता है। फ्लॉसिंग मुंह में हानिकारक बैक्टीरिया की उपस्थिति को घटाकर इस्केमिक और कार्डियो एम्बोलिक स्ट्रोक का जोखिम कम कर सकती है। दांतों में फ्लॉसिंग करने से डायबिटीज भी कंट्रोल रहती है। मसूड़ों की बीमारी ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती है। हेल्दी मसूड़ों के लिए नियमित फ्लॉसिंग मददगार होती है। कुछ रिसर्च बताती हैं कि मसूड़ों की बीमारी और आर्थराइटिस के बीच संबंध है। फ्लॉसिंग करने से मसूड़ों की सूजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

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