Symptoms of Pneumonia: निमोनिया एक गंभीर श्वसन रोग है जो बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण होता है। फेफड़ों में संक्रमण के कारण निमोनिया होता है। 2019 में लगभग 2.5 मिलियन लोगों की मौत निमोनिया के कारण हुई। इनमें 6.72 लाख बच्चे शामिल हैं। सर्दी के मौसम में निमोनिया का असर ज्यादा हो जाता है। सर्दियों में नमी अधिक होने के कारण बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण बढ़ने लगता है।
ठंड के मौसम में कई दिनों तक लगातार हल्का बुखार और पैरों में दर्द बना रहे तो इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए, यह निमोनिया के साथ टीबी के भी लक्षण हो सकते हैं। हल्के बुखार को लो ग्रेड फीवर भी कहते हैं। दिन में कभी भी बुखार हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस लो ग्रेड बुखार से किन-किन बीमारियों का खतरा हो सकता है-
हल्के बुखार में शरीर का तापमान 99 से 100 डिग्री के बीच रहता है। यदि आपको एक सप्ताह से अधिक समय तक हल्के बुखार की शिकायत है तो यह वायरल निमोनिया का संकेत हो सकता है। इस दौरान व्यक्ति को बुखार के साथ ठंड और खांसी की शिकायत होती है; वहीं यदि यह लक्षण 2 से 3 सप्ताह तक बनें रहते हैं और साथ ही पैरों में दर्द भी होता है। तो मरीज को सिर्फ पैरासिटामोल खाने की सलाह न दें। डॉक्टर से सलाह लेने के बाद आपको टेस्ट करवाना चाहिए।
क्या होता है निमोनिया ?
फेफड़ों के संक्रमण की बीमारी को निमोनिया है। निमोनिया के दौरान मरीजों के फेफड़ों में असामान्य सूजन आ जाती है, अधिक संक्रमण होने पर फेफड़ों में पानी भर जाता है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण होता है जो सामान्य इन्फ्लूएंजा के समान होता है लेकिन हाल के दिनों में यह देखा गया है कि यह भी कोविड वायरस के कारण होने लगा है।
टीबी भी हो सकती है इसके पीछे की वजह
मायोक्लिनिक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक टीबी का संक्रमण दो तरह का हो सकता है, इनएक्टिव टीबी और एक्टिव टीबी। निष्क्रिय टीबी में आपको संक्रमण हो जाएगा, लेकिन शरीर में मौजूद बैक्टीरिया निष्क्रिय होते हैं, जिसमें कोई लक्षण नहीं नजर आता है। एक शोध के अनुसार पुरुषों में टीबी अधिक आम है और इससे पीड़ित की जान जा सकती है।
एक्टिव लक्षणों वाले लोगों में खांसी, थकान, बुखार, ठंड लगना, अचानक वजन कम होना, खांसी या खून, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई या खांसी, रात को पसीना, तीन या अधिक हफ्तों तक भूख न लगने की शिकायत है तो यह एक टीबी का संकेत हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से भी सलाह लें। साथ ही जल्द इलाज शुरू करें। मरीजों का सप्ताह-दर-सप्ताह विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है और इसके इलाज में महीनों लग सकते हैं।