आज कल फैटी लिवर की बीमारी ऊभरकर सामने आ रही है। फैटी लिवर की बीमारी के दो प्रकार हैं, जिनमें अल्कोहलिक और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर शामिल हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या अल्कोहल का सेवन करने से होती है, जबकि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या की मुख्य वजह मोटापा, बिगड़ा हुआ खानपान और बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल है।

आपको पता होना चाहिए कि लिवर हमारे शरीर के सबसे आवश्यक अंगों में से एक है। लिवर मेटाबॉलिज्म को ठीक कर ऊर्जा का संचयन करता है और शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। शरीर में लिवर खून को फिल्टर करने के साथ ही एनर्जी स्टोर भी करता है। लेकिन फिर भी कुछ मामलों में लापरवाही बरतने पर लिवर को नुकसान पहुंच सकता है। अच्छी बात ये है कि सामान्य तौर पर आप अपनी जीवनशैली में बदलाव के साथ फैटी लिवर की बीमारी को रोक सकते हैं। इसलिए फैटी लिवर के पेशेंट को यह सलाह दी जाती हैं कि वह अपनी डाइट का खास ख्याल रखें और कुछ विशेष फूड आइटम को अपनी डाइट में शामिल करें।

कारण: कई लोगों में बिना किसी पूर्व बीमारी या लिवर से संबंधित शिकायत न होने के बावजूद फैटी लिवर की बीमारी हो जाती है। जैसे कि अधिक वजन बढ़ने या मोटापा बढ़ने के साथ भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा जिनमें टाइप 2 डायबिटीज या मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम की शिकायत होती है उनमें भी यह बीमारी विकसित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

लक्षण: सामान्यतः फैटी लिवर से पीड़ित व्यक्तियों में कोई खास लक्षण नहीं होते। लेकिन जब बीमारी सिरोसिस की तरफ बढ़ने लगती है तो इसके लक्षणों को पहचनना बहुत जरूरी हो जाता है। यदि आपको पेट में दर्द या पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में भरा हुआ महसूस होना, मतली, भूख न लगना, वजन कम होना, त्वचा का पीला होना और आंखों का सफेद होना, ज्यादा थकान या मानसिक उलझन होना, कमजोरी महसूस होना या पेट और पैरों में सूजन जैसी समस्या का एहसास हो रहा है तो अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

गंभीरता: आमतौर पर यह गंभीर बीमारी नहीं है। लेकिन यदि यह बढ़ जाए तो आपका लिवर तक डैमेज कर सकती है। यह बीमारी मुख्यतः तीन चरणों में आगे बढ़ती है-

स्टीटोहेपेटाइटिस: लिवर में सूजन आ जाती है, जिससे ऊतकों को नुकसान पहुंचता है।
फाइब्रोसिस: जहां से आपका लिवर डैमेज होता है, वहां निशान बन जाते हैं।
सिरोसिस: बड़े निशान वाले ऊतक जब एक स्वस्थ ऊतक की जगह ले लेता है। सिरोसिस से लिवर फेलियर और लिवर कैंसर तक हो सकता है।

बचाव: फैटी लिवर से बचाव का एक ही तरीका है अपने जीवन शैली में बदलाव करें। जैसे कि शरब से परहेज करें, यदि मधुमेह के रोगी हैं तो डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए दवा लें, नियमित रूप से व्यायाम करें, धीरे-धीरे वजन कम करें, संतुलित आहार का पालन करें, फैटी लीवर की स्थिति में स्वास्थ्य विशेषज्ञ सब्जी और फलों से भरपूर मेडिटेरेनियन फूड का सेवन करने की सलाह देते हैं।