भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वास्थ्य का ख्याल रखना बहुत जरूरी है, लेकिन कामकाज और व्यस्तता के चलते खानपान भी प्रभावित होता है। ऐसे में मोटापा भी एक बड़ी समस्या बन गया है, जिसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। नई रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है कि अधिक वजन से घातक बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ गया है फिर चाहे बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स कंट्रोल में है। नई दिल्ली के एनडीओसी, एम्स और फोर्टिस हॉस्पिटल ने मिलकर एक रिसर्च की है। इस रिसर्च के मुताबिक, पेट के पास जमा चर्बी कई अन्य बीमारियों को निमंत्रण देती है। मोटापे के कारण शुगर, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर जैसी कई अन्य बीमारियां भी बढ़ रही हैं। इस स्टडी में मोटापे को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था, पहला साधारण मोटापा (इनोसियस ओबेसिटी) और दूसरे में परिणाम देने वाला मोटापा यानी ओबेसिटी विद कंसिक्वेंसेज है।
इनोसियस ओबेसिटी
इनोसियस ओबेसिटी में व्यक्ति का बीएमआई बढ़ जाता है और मोटापा शरीर पर नजर भी आता है, लेकिन इसका डेली रूटीन के कामकाज या सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। यानी ऐसे व्यक्ति के लिए मोटापा कम करने में बाधा नहीं बनता। हालांकि, अगर इसे कंट्रोल नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
ओबेसिटी विद कंसिक्वेंसेज
दूसरे चरण में मोटापा न सिर्फ दिखता है, बल्कि शरीर के कई अन्य अंगों पर भी असर डालता है और यह कई बीमारियों का कारण बनता है। मोटे लोगों में शुगर, हृदय रोग और मस्तिष्क रोगों का खतरा अधिक होता है। ऐसे में नई स्टडी से इन बीमारियों को ठीक से समझने और मोटापे की सही पहचान करने में मदद मिलेगी।
15 साल बाद मोटापे पर नई रिसर्च
मोटापे पर की गई इस रिसर्च में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। 15 साल बाद मोटापे पर हुई स्टडी में मोटापे को कंट्रोल करने के लिए पूरी जानकारी दी गई है और पेट की चर्बी से होने वाली अन्य बीमारियों के बारे में भी बताया गया है। ऐसे में मोटापे से होने वाली बीमारियों का इलाज करना अब आसान और सुविधाजनक हो गया है। मोटापे पर नए दिशानिर्देश 2009 में सामने आए। इसमें कई बातें स्पष्ट नहीं थीं। ऐसे में एक नए अध्ययन के आने से मोटापे और इससे जुड़ी अन्य समस्याओं की पहचान आसानी से करने में मदद मिलेगी है।
बीएमआई क्या है?
बीएमआई का मतलब बॉडी मास इंडेक्स है। यह किसी व्यक्ति के वजन-ऊंचाई का माप है। यह किसी व्यक्ति का वजन बताता है। बीएमआई एक मेडिकल स्क्रीनिंग टूल है जिसका उपयोग अधिक वजन और मोटापे के कारण शरीर में फैट की मात्रा का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग स्पष्ट रूप से यह पहचानने के लिए किया जाता है कि कोई व्यक्ति कम वजन वाला, अधिक वजन वाला या मोटा है। मोटापा होने पर हमारा बॉडी मास इंडेक्स 30 या फिर उससे भी ज्यादा हो जाता है, जो कई बीमारियों को जन्म देने के लिए काफी होता है।
शुगर
सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक, टाइप 2 डायबिटीज की समस्या से परेशान लोगों में मोटापे की समस्या भी होती है। ऐसे में बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इसी के जरिए आप पेट की चर्बी को कम कर सकते हैं और डायबिटीज यानी मधुमेह के रोग को कम कर सकते हैं।
कैंसर का खतरा
पेट की चर्बी कई तरह के कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकती है। इनमें ब्रेस्ट कैंसर, एसोफैगल कैंसर, कोलन कैंसर और एंडोमेट्रियम कैंसर शामिल है।
ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या
शरीर का वजन बढ़ने से हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो हो सकती है। जिसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है और इससे स्ट्रोक, हार्ट अटैक और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में वजन को कंट्रोल में रखना भी बहुत आवश्यक है।
जोड़ों में दर्द
शरीर में बढ़ती चर्बी के चलते ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी जोड़ों की समस्या भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में पीठ, घुटनों और कूल्हों पर ज्यादा असर पड़ सकता है। वजन बढ़ने से जोड़ों पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ता है। इसी बढ़ते दबाव के कारण कार्टिलेज घिसने लगती है और जोड़ों में दर्द होने लगता है।
पाचन से जुड़ी समस्या
मोटापे के कारण गॉलब्लेडर में स्टोन से लेकर कई पाचन से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती है। गॉलब्लेडर पाचन तंत्र का ही एक हिस्सा है, जो पेट में स्थित होता है। पेट की चर्बी बढ़ने से इस पर प्रभाव पड़ता है और दिल की बीमारी का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
वहीं, डायबिटीज के मरीजों के लिए चीनी का सेवन खतरनाक हो सकता है। अक्सर लोग कंफ्यूज रहते हैं कि मिठास के लिए सफेद शुगर, ब्राउन शुगर और शहद किसका सेवन करना चाहिए?
