सांस फूलना, घरघराहट और घुटन का अहसास आजकल के समय में आम हो गया है। इसका मुख्य कारण बढ़ता वायु प्रदूषण, एलर्जेन का इजाफा और अनहेल्दी लाइफस्टाइल से जुड़ा तनाव है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आंकड़ों के अनुसार, भारत में 4 करोड़ से अधिक वयस्क अस्थमा, साइनसाइटिस, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी जैसी लंबी श्वसन बीमारियों से पीड़ित हैं। महानगरों में युवाओं की लगभग 30% आबादी इस समस्या से परेशान है।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और डॉ. बत्राज़ हेल्थकेयर के संस्थापक डॉ. मुकेश बत्रा ने बताया कि सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो फेफड़ों को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए और श्वसन संबंधी बीमारियों में होम्योपैथी इलाज कैसे असरदार हो सकता है।
श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण
- लगातार प्रदूषित हवा, धूल और तंबाकू धुएं के संपर्क में रहना
- बार-बार होने वाले श्वसन संक्रमण और असामान्य मौसम
- पुरानी एलर्जी और मौसमी उभार
डॉ. मुकेश बत्रा के मुताबिक, अनहेल्दी लाइफस्टाइल जैसे खराब नींद, चिंता, लंबे समय तक बैठे रहना और पोषण की कमी आदि। ये सभी कारक, अकेले या मिलकर, शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता यानी इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। जिसके चलते अधिकांश लोग खांसी, घरघराहट, सांस की कमी, बार-बार ऊपरी श्वसन पथ संक्रमण (URTI) और यहां तक कि अनपेक्षित थकान की शिकायत करते हैं।
अस्थमा या पुरानी ब्रोंकाइटिस वाले लोग हाई जोखिम में होते हैं और बार-बार के दौरे झेलते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और रोजमर्रा का जीवन प्रभावित होता है। बच्चे भी लगातार श्वसन संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि बच्चों और युवाओं में श्वसन संक्रमण अब पहले से कहीं जल्दी शुरू हो रहे हैं।
इम्यूनिटी का संबंध
बदलता लाइफस्टाइल नई बीमारियों को जन्म दे रही है। बाहर की गतिविधियां कम होना, स्क्रीन टाइम बढ़ना और प्रोसेस्ड फूड पर निर्भरता आम हो गई है। तनाव, पोषण की कमी और शारीरिक गतिविधि का अभाव हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे सामान्य संक्रमणों और विशेषकर फेफड़ों से जुड़े संक्रमणों से लड़ना मुश्किल हो जाता है।
होम्योपैथी कैसे करती है मदद
होम्योपैथी श्वसन प्रतिरक्षा को सही करने का एक सुरक्षित, सौम्य और बिना दुष्प्रभाव वाला तरीका प्रदान करती है। जहां परंपरागत दवाएं केवल लक्षणों को अस्थायी रूप से दबाती हैं, वहीं होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को संपूर्ण रूप से पुनर्स्थापित करती है।
- Arsenicum Album- सांस फूलने के लिए, विशेषकर रात में।
- Antimonium Tartaricum- गहरी, घरघराहट वाली खांसी के लिए।
- Justicia Adhatoda- गीली खांसी और सीने में जमाव के लिए।
- Hepar Sulph- खांसी जो गले में जलन के साथ हो।
डॉ. मुकेश बत्रा के मुताबिक, ये दवाएं नींद लाने वाली नहीं होतीं और इनके कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते, इन्हें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी आयु वर्ग में सुरक्षित रूप से दिया जा सकता है। हालांकि, किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है, क्योंकि स्वयं-औषधि लेना सही नहीं है।
एक्सपर्ट के अनुसार, सांस फूलने या सीने पर दबाव जैसी समस्या लगातार बनी रहती है, तो समय पर चिकित्सकीय सहायता जरूरी है। इसके अलावा होम्योपैथिक उपचार और लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे पौष्टिक आहार लेना, व्यायाम करना, तनाव कम करना और हानिकारक तत्वों से दूर रहना आदि का ध्यान रखना जरूरी है।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।