कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही मरीज के साथ परिजनों के भी हाथ-पैर फूलने लगते हैं। आज के समय में कैंसर की बीमारी दुनिया भर में बहुत ही तेजी से फैल रही है। कैंसर की रोकथाम के लिए इसकी समय पर पहचान और तुरंत इलाज बहुत ही जरूरी है। कैंसर से निजात दिलाने के लिए सबसे अहम और बड़ी भूमिका डॉक्टर्स की होती है कि वह कितनी जल्दी इसकी पहचान करते हैं और कैसा इलाज करते हैं। इस जानलेवा बीमारी का जर्मनी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां कैंसर के मरीज की सर्जरी करते समय एक डॉक्टर ही इसका शिकार हो गया। इस मामले के सामने आने बाद दुनियाभर में डॉक्टर्स और लोगों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि कैंसर को अब तक ट्रांसमिटेड डिजीज के तौर पर नहीं देखा जाता था।
सर्जरी के दौरान कैंसर की चपेट में आए डॉक्टर
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित, कैंसर से जुड़ा इस तरह का मामला सबसे 1996 में रिपोर्ट किया गया था और हाल ही में फिर से सामने आया है। दरअसल, जर्मनी में 32 साल के एक शख्स को रेयर टाइप का कैंसर था और उसके पेट से ट्यूमर निकालना था। ट्यूमर को निकालने के लिए ही सर्जरी की तैयारी की गई। इस दौरान ही सर्जरी कर रहे 53 साल के डॉक्टर के हाथ पर एक छोटा सा कट लग गया, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया और कट लगने की छोटी सी गलती उन्हें भारी पड़ गई। हालांकि, उन्होंने कट को साफ कर अच्छे से बैंडेज लगाई और निश्चिंत हो गए, लेकिन इस सर्जरी के करीब 5 महीने के बाद डॉक्टर को महसूस हुआ कि उनकी उंगली पर गांठ उभर आई है।
डॉक्टर ने इस गांठ के इलाज के लिए जांच करवाई तो पता चला कि ये एक ट्यूमर है, जो मरीज के कैंसर के समान था जिसका उन्होंने ऑपरेशन किया था। फिर सर्जन ने अपने इलाज के दौरान पाया कि कैंसर मरीज की सर्जरी के दौरान उंगली में लगे कट के जरिए कैंसर सेल उनके शरीर में अंदर प्रवेश कर गए थे। हालांकि, आमतौर पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता, क्योंकि बाहर के सेल्स को शरीर की इम्यूनिटी खत्म कर देती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ और डॉक्टर को कैंसर हो गया।
क्या कहते हैं ऑन्कोलॉजिस्ट?
दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल में ऑन्कोलॉजी सेवाओं के निदेशक डॉ. नीरज गोयल के अनुसार, ऐसा बिल्कुल संभव है कि मरीज से डॉक्टर को कैंसर हो जाए, लेकिन इसका जोखिम बहुत कम होता है। सर्जरी के माध्यम से कैंसर का संक्रमण दुर्लभ है, क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली विदेशी कोशिकाओं को अस्वीकार कर देती है। हालांकि, इस मामले में सर्जन के शरीर में अप्रभावी एंटीट्यूमर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का पता चला, जिससे प्रत्यारोपित कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने का मौका मिला।
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